नैनीताल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जीवन के अधिकार में शोर प्रदूषण से मुक्ति का अधिकार भी शामिल है. कोर्ट ने हरिद्वार के भगवानपुर क्षेत्र में नमाज के दौरान लाउडस्पीकर के उपयोग से संबंधित एक मामले में 2018 में पारित आदेश का जिक्र करते हुए सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 2000 के तहत उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने हरिद्वार निवासी रईस अहमद की याचिका की सुनवाई की. रईस ने 2022 में एसडीएम भगवानपुर से नमाज के लिए लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन जब प्रशासन ने यह अनुमति नहीं दी, तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
कोर्ट ने प्रशासन को इस मामले को कानूनी तरीके से सुलझाने के निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा किया. इसके साथ ही एसडीएम को 2018 के उस फैसले पर विचार करने को कहा गया, जिसमें कहा गया था कि व्यक्तिगत ध्वनि प्रणालियों का शोर स्तर पांच डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए. सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर या अन्य ध्वनि प्रणालियों से शोर का स्तर 10 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए, और रात 10 बजे से सुबह 10 बजे तक वाद्ययंत्र बजाने की अनुमति नहीं है.
काफल ट्री लाइव के वाट्सएप्प ग्रुप से जुड़े : काफल ट्री लाइव वाट्सएप्प ग्रुप
यूट्यूब पर हमारी चुनिन्दा रपट देखें : काफल ट्री लाइव यूट्यूब
फेसबुक में हमें फॉलो करें : काफल ट्री लाइव फेसबुक
इंस्टाग्राम पर हमें फॉलो करें : काफल ट्री लाइव इंस्टाग्राम