चमोली के लोल्टी गाँव की महिलाएं चाहती है कि उनके गाँव में शराब की दूकान न खुले. इलाके में खुली शराब की दूकान को तुरन्त बंद किया जाये. धुप हो या बारिश महिलाएं सड़क पर उतर कर शराब की दुकान का विरोध कर रही हैं. वीडियो में चमोली पुलिस बता रही है कि इस इलाके के 6 किमी में कोई भी शराब की दूकान न होने से राजस्व का नुकसान हो रहा है. पुलिस की बात अपनी जगह सही है लेकिन किस कीमत पर.
ग्वालदम राष्ट्रीय राजमार्ग पर लोल्टी गांव स्थित है. लोल्टी गांव चमोली जिले के अंतर्गत आता है. गांव के पास नागोली में बीते शनिवार एक शराब की दुकान खुली. आस-पास के गांव की महिलाओं को अपने घरों के पास अंग्रेजी शराब यह दुकान बर्दाश्त न हुई. करीब 6 गांवों की महिलाएं मौके पर पहुंच गयी और दुकान पर ताला ठोक दिया.
अगला दिन रविवार का था. इलाके में भारी बारिश का मुसम था इसके बावजूद महिलाओं ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा. गांव की इन महिलाओं को समझाने अधिकारी आये पुलिस आई लेकिन महिलाएं नहीं मानी. बारिश के बावजूद महिलाओं ने चमोली के लोल्टी गाँव और उसके आस-पास के गावों में रहने वाली महिलाएं चाहती शराब की दुकान का विरोध करती रही. धुप हो या बारिश महिलाएं शराब की दुकान बंद कराने के लिये सड़क पर डटी रही.
महिलाएं तब अपने घरों को तब लौटी जब प्रशासन ने शराब की दुकान न खुलने का आश्वासन दिया. पहाड़ में शराब से न जाने कितने घर उजड़ चुके हैं और न जाने कितने उजड़ने की हालत में हैं. शराब पहाड़ की महिलाओं के लिये किसी दुश्मन से काम नहीं क्योंकि उन्होंने इससे बर्बाद होते न जाने कितने घर-परिवार देखे हैं. पर सरकार को क्या. उसे तो बस अपने राजस्व से मतलब है. यही कारण है कि साल 2001-02 में जिस उत्तराखंड की राजस्व आय में सरकार ने शराब से आय का लक्ष्य 222.38 करोड़ रखा था वह आज 4400 करोड़ रुपये लक्षित है.