22 गांवों की जल योजना में 10 करोड़ का घोटाला, कई इंजीनियरों पर गिरी गाज
उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की समस्या एक बड़ी चुनौती रही है. भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए कई बार अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ा गया है, लेकिन इसके बावजूद यह समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाई है. हालांकि, सरकार ने इस दिशा में लगातार कड़े कदम उठाए हैं. हालिया मामला जल जीवन मिशन योजना के तहत टिहरी के प्रतापनगर पेयजल योजना का है, जहां 10 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आई है.
गड़बड़ी का खुलासा कैसे हुआ?
यह मामला तब उजागर हुआ जब ग्राम पंचायत भेलुंता और प्रतापनगर विकासखंड के अन्य ग्राम प्रधानों ने योजना में 10 करोड़ रुपये के फर्जी भुगतान का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की. योजना के तहत 22 गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए 212 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई गई थी, लेकिन जांच में पाया गया कि 1730 मीटर लंबी पेयजल लाइन में से 800 मीटर पाइप गायब है. इस खुलासे के बाद जिलाधिकारी टिहरी मयूर दीक्षित ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
प्रारंभिक जांच और समिति का गठन
प्रारंभिक जांच में ही गड़बड़ी के संकेत मिलते ही मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने इस मामले की गहन जांच के लिए एक विस्तृत समिति का गठन किया. समिति में उपजिलाधिकारी प्रतापनगर, जिला विकास अधिकारी, अधिशासी अभियंता जल निगम, और खंड विकास अधिकारी प्रतापनगर को शामिल किया गया है. समिति को निर्देश दिया गया है कि वह पूरी पाइपलाइन की जांच करे और जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करे.
जांच के मुख्य बिंदु
- पाइपलाइन की वास्तविकता: समिति 212 किमी लंबी पाइपलाइन के एक-एक इंच की गहनता से जांच कर रही है. इसमें यह देखा जा रहा है कि कितनी लंबाई की पाइपलाइन वास्तव में बिछाई गई है और कितनी गायब है.
- लाभार्थियों तक पानी पहुंचने की हकीकत: योजना के तहत यह आकलन किया जा रहा है कि कितने लाभार्थियों तक पानी पहुंचना था और वास्तव में कितने परिवारों को पानी मिला है.
- फर्जी भुगतान की जांच: कागजों पर किए गए 10 करोड़ रुपये के खर्च की वास्तविकता का भी आकलन किया जा रहा है. इस जांच में यह देखा जा रहा है कि योजना के तहत कितना पैसा कागजों पर दिखाया गया और कितना जमीनी स्तर पर खर्च हुआ है.
भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का रुख
उत्तराखंड सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की प्रतिबद्धता जाहिर की है. राज्य में पहले भी कई बार जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं में गड़बड़ियां सामने आई हैं. इससे पहले अल्मोड़ा, पौड़ी और उत्तरकाशी जिलों में भी जल जीवन मिशन में अनियमितताएं उजागर हो चुकी हैं, और अब टिहरी में भी इसी तरह की शिकायतें सामने आई हैं.
सरकार की ओर से लगातार यह संदेश दिया जा रहा है कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस तरह के मामलों की पारदर्शी जांच और दोषियों पर कार्रवाई से यह उम्मीद की जा रही है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और जनता की योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचेगा.
जनता का रुख
इस घोटाले से प्रभावित 22 गांवों के लोग बेहद नाराज हैं. ग्राम प्रधानों ने आरोप लगाया है कि पानी की सप्लाई के लिए बिछाई गई पाइपलाइन का केवल नाम भर है, जबकि हकीकत में गांवों में पानी पहुंचा ही नहीं. इस तरह के आरोपों ने ग्रामीणों के मन में व्यवस्था और सरकारी अधिकारियों के प्रति अविश्वास पैदा किया है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं, और जनता को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.
आगे की दिशा
जांच समिति की रिपोर्ट के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस 10 करोड़ की गड़बड़ी के असल जिम्मेदार कौन हैं और इस योजना में कितना काम किया गया है. सरकार द्वारा दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाने की उम्मीद है, जिससे भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों पर लगाम लग सके और जनता को उसका हक मिल सके.
इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट के आने के बाद ही यह कहा जा सकेगा कि इस घोटाले का असली स्वरूप क्या है और सरकार द्वारा उठाए गए कदम कितने प्रभावी साबित होंगे.
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