Homeउत्तराखण्डनई तकनीक से गांवों में हो रही भरपूर खेती

नई तकनीक से गांवों में हो रही भरपूर खेती

फसल उत्पादकता बढ़ाने में तकनीक ने अहम भूमिका निभाई है. उन्नत तकनीकों का उपयोग करके अब उच्च उपज देने वाली फसल किस्में विकसित की जा रही हैं, जिससे न केवल किसानों को, बल्कि देश के अनाज भंडार को भी लाभ हो रहा है. तकनीक के उपयोग ने खाद्य सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव डाला है.

इससे उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है और अधिक लोगों तक सस्ती एवं पौष्टिक खाद्य सामग्री पहुंचाने में मदद मिली है. कोरोना काल के बाद से अब तक यदि 80 करोड़ से अधिक लोगों को सरकार द्वारा अनाज मुहैया कराया जा रहा है, तो यह खेती में नई तकनीकों के इस्तेमाल का ही परिणाम है.

अब हमारे गोदामों में सरप्लस अनाज उपलब्ध है और निर्यात के बावजूद हम अपनी आबादी का पोषण सुनिश्चित कर पा रहे हैं. इसके साथ ही, किसानों की आय में भी इजाफा हुआ है और नए रोजगार सृजित हो रहे हैं. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में वृद्धि आई है और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है.

यह स्पष्ट है कि सरकार की सहायता के बिना यह सब कुछ संभव नहीं था. सरकार किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है और कई योजनाएं लागू कर रही है. किसानों को नई तकनीकें अपनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है और आवश्यकतानुसार उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.

उदाहरण के तौर पर, मृदा सेंसर तकनीक का उपयोग मिट्टी में नमी, तापमान और अन्य कारकों को मापने के लिए किया जा रहा है, जो फसल की वृद्धि को प्रभावित करते हैं. ये आंकड़े किसानों तक पहुंचाए जाते हैं, जिससे वे बेहतर खेती की योजना बना सकें.

इसी तरह, बुवाई, रोपाई और कटाई जैसी प्रक्रियाओं में स्वचालित मशीनों का उपयोग बढ़ गया है, जिससे शारीरिक श्रम पर निर्भरता कम हुई है और किसानों की दक्षता में वृद्धि हुई है. ड्रोन का उपयोग भी अब डेटा संग्रहण और फसल छिड़काव जैसी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है.

नई तकनीकों ने खेती की दिशा और दशा बदल दी है. कम क्षेत्रफल में भी बेहतर पैदावार हो रही है और सरकार किसानों को इसमें हरसंभव मदद दे रही है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में खेती-किसानी और भी लाभकारी व्यवसाय बन जाएगी.

हालांकि, ग्रामीण भारत की परंपरागत कृषि व्यवस्था में बदलाव आ रहा है, लेकिन यह सुधार कितना स्थायी होगा, इस पर विचार करना आवश्यक है. आज भी कई किसान नई तकनीकों और ज्ञान से वंचित हैं. योजनाओं की घोषणा होती है, परंतु उनका लाभ सीमित किसानों तक ही पहुंच पाता है.

इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि कई किसान अभी भी आधुनिक तकनीक, फसल विविधीकरण और बेहतर विपणन साधनों से अनभिज्ञ हैं, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में वह वृद्धि नहीं हो रही है, जिसका दावा किया जाता है. महंगाई के साथ तुलना करने पर उनकी आय कम होती दिखती है.

छोटे और सीमांत किसानों को नई योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रशिक्षण और सुविधाएं भी पर्याप्त नहीं हैं. गांवों में कृषि विशेषज्ञों की तैनाती की जानी चाहिए, जो किसानों को आधुनिक खेती, विपणन और उद्यमशीलता की जानकारी दें. साथ ही, स्थानीय किसान संगठनों को सशक्त बनाना होगा, ताकि सरकार से मिलने वाली सुविधाएं हर किसान तक पहुंच सकें.

पंचायतों और ग्राम सभाओं को भी कृषि विकास योजनाओं में भागीदार बनाना चाहिए ताकि किसानों में जागरूकता फैलाई जा सके. हालांकि, इस दिशा में कुछ काम हो रहा है, लेकिन सुदूर क्षेत्रों में अभी भी ऐसी पहलों की कमी है.

कृषि क्षेत्र में सुधार तभी संभव होगा जब ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, प्रशिक्षण और बाजार तक सीधी पहुंच को प्राथमिकता दी जाएगी. इससे न केवल किसान आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. किसानों की आत्मनिर्भरता न केवल उनके लिए, बल्कि देश के आर्थिक विकास के लिए भी आवश्यक है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में सुधार होगा और बार-बार दिखने वाला ग्रामीण संकट समाप्त हो सकेगा.

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