Homeदेशवक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 लागू : राष्ट्रपति ने बिल को दी मंजूरी,...

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 लागू : राष्ट्रपति ने बिल को दी मंजूरी, जानें इस नए कानून के बारे में

वक्फ (संशोधन) बिल 2025 अब आधिकारिक रूप से कानून बन गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को इस बिल को मंजूरी दी, जिसके बाद यह वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के रूप में लागू हो गया है। सरकार का कहना है कि यह नया कानून वक्फ संपत्तियों और वक्फ बोर्डों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाएगा।

संसद में हुआ था विरोध
वक्फ (संशोधन) बिल का संसद में काफी विरोध हुआ था। हालांकि, लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 सांसदों ने इसका समर्थन किया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ-साथ जेडीयू, टीडीपी, और एलजेपी जैसे सहयोगी दलों ने भी इसे समर्थन दिया। वहीं, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

वक्फ एक्ट में क्या बदलाव हुए हैं?
नए वक्फ कानून के तहत, अब कोई भी वक्फ संपत्ति बिना लिखित दस्तावेज के दर्ज नहीं की जा सकेगी। साथ ही, सरकारी जमीनें वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज नहीं की जा सकेंगी। यदि कोई जमीन विवादित या सरकारी है, तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में नहीं माना जाएगा। कलेक्टर को अब इन संपत्तियों की जांच करने का अधिकार मिला है। इसके अतिरिक्त, अगले 6 महीनों के भीतर सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण एक ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज कर दिया जाएगा।

वक्फ बोर्ड में नए प्रावधान
सरकार का दावा है कि नया कानून वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोकने और असली मालिकों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद करेगा। इस कानून में बोहरा और अघाखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड गठन का प्रावधान भी किया गया है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड में अब गैर-मुस्लिम सदस्य और महिलाएं भी सदस्य के रूप में शामिल हो सकेंगी। वक्फ संपत्तियों के सर्वे का जिम्मा अब कलेक्टर को सौंपा गया है, पहले यह जिम्मेदारी सर्वे कमिश्नर के पास थी।

जगदंबिका पाल ने किया ऐतिहासिक बताया
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने इसे ऐतिहासिक कानून बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून से वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब और पसमांदा मुसलमानों को मिलेगा, क्योंकि वक्फ की संपत्तियां सेना और रेलवे से भी अधिक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के द्वारा सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू किया गया है, हालांकि कुछ लोग अब भी इसे लेकर भ्रम फैला रहे हैं।