Homeउत्तराखण्डरुद्रप्रयाग नगर का अधिकांश हिस्सा पेयजल संकटग्रस्त

रुद्रप्रयाग नगर का अधिकांश हिस्सा पेयजल संकटग्रस्त

गर्मी बढ़ते ही उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में पानी की समस्या गहराने लगी है. अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर बसे रुद्रप्रयाग नगर समेत जिले के ग्रामीण इलाकों में जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. प्राकृतिक जल स्रोतों में पानी की कमी के कारण जल संस्थान विभाग को पेयजल आपूर्ति के लिए टैंकरों का सहारा लेना पड़ रहा है. ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है, जहाँ लोगों को पैदल चलकर पीठ पर पानी ढोना पड़ रहा है. जंगलों में लग रही आग को भी पेयजल स्रोतों के सूखने का एक बड़ा कारण माना जा रहा है.
(Drinking Water Crisis in Rudraprayag Uttarakhand)

प्राकृतिक जल स्रोतों में कमी

गर्मी के मौसम में रुद्रप्रयाग शहर और आस-पास के ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या बढ़ जाती है. प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगे हैं और गाड़-गदेरों में भी पानी की मात्रा कम हो रही है. कई ग्रामीण क्षेत्रों में अब टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. जल स्रोतों के सूखने की कगार पर होने से ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है. मौसम की अनियमितता और अंधाधुंध निर्माण कार्यों के कारण प्रकृति को हो रहे नुकसान से प्राकृतिक जल स्रोतों में पानी कम हो रहा है.

पेयजल संकट

जंगलों में लगी आग को भी इस समस्या का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है. एक ओर बारिश नहीं हो रही है, तो दूसरी ओर जंगलों में लगी आग से गर्मी की तीव्रता बढ़ रही है. नगर क्षेत्र का पुनाड़ गदेरा धीरे-धीरे सूख रहा है, जहाँ से नगर की 25 हजार आबादी को पानी मिलता है. नगर के डांगसेरा और गुलाबराय में प्राकृतिक स्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं. ये स्रोत गर्मी के मौसम में लगभग दस हजार लोगों की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करते थे. अब इन स्रोतों के सूखने से उपभोक्ताओं को पानी की विकराल समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
(Drinking Water Crisis in Rudraprayag Uttarakhand)

जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में जल संस्थान टैंकरों से जलापूर्ति करने में जुटा है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. जनपद में जल संस्थान की 294 पेयजल योजनाएँ हैं, जिनके माध्यम से लगभग 333 ग्राम पंचायतों और पाँच निकायों में करीब ढाई लाख आबादी को पानी आपूर्ति होती है. जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग नगर का अधिकांश हिस्सा पेयजल संकटग्रस्त है. तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, तल्लानागपुर, भरदार, धनपुर, रानीगढ़, बच्छणस्यूं, सिलगढ़, ऊखीमठ जैसे क्षेत्रों में पानी की सबसे अधिक दिक्कत है.

जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अनीश पिल्लई ने कहा, “इस वर्ष बर्फबारी और बारिश कम हुई है, जिससे पानी के स्रोत सूख रहे हैं. गर्मी भी अधिक हो रही है और जंगलों में आग लगने की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं. जिन क्षेत्रों में पानी की समस्या है, वहाँ टैंकरों से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है.”

धनपुर, रानीगढ़, भरदार, जखोली, ऊखीमठ, मदमहेश्वर घाटी, बच्छणस्यूं पट्टी सहित जिले के कई इलाकों में आग की घटनाएँ देखने को मिल रही हैं. पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा – हर साल मौसम में परिवर्तन आ रहा है. समय पर बर्फबारी और बारिश नहीं हो रही है. जंगलों में आग लगने से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है और प्राकृतिक स्रोत सूख रहे हैं. पानी का संकट गहरा रहा है.
(Drinking Water Crisis in Rudraprayag Uttarakhand)

रुद्रप्रयाग नगर के गुलाबराय और डांगसेरा में वर्षों से बह रहे प्राकृतिक स्रोत रेलवे निर्माण कार्यों के कारण बंद हो गए हैं. इन स्रोतों का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है. जंगलों में लग रही आग से भी प्राकृतिक स्रोतों पर बुरा असर पड़ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए अधिक से अधिक मिश्रित पौधों का रोपण किया जाना चाहिए और जंगलों में लगी आग को बुझाने के प्रयास किए जाने चाहिए. लोगों को समय रहते सचेत होने की जरूरत है.

-काफल ट्री लाइव डेस्क