देश की आम जनता को एक बार फिर महंगाई के मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने सोमवार को एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में 50 रुपये की बढ़ोतरी का ऐलान किया, जिससे घरेलू रसोई का बजट और अधिक बिगड़ गया है। अब 14.2 किलोग्राम वाला घरेलू एलपीजी सिलेंडर आम उपभोक्ताओं को ₹803 के बजाय ₹853 में मिलेगा, जबकि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत मिलने वाला सिलेंडर अब ₹553 का हो गया है।
सरकार का तर्क और मंत्री का बयान
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और एलपीजी की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा,”एलपीजी के प्रति सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की वृद्धि होगी। पीएम उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए यह कीमत ₹500 से बढ़कर ₹550 होगी, जबकि अन्य उपभोक्ताओं के लिए यह ₹803 से बढ़कर ₹853 हो जाएगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पेट्रोल और डीजल पर हाल ही में बढ़ाए गए उत्पाद शुल्क का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। उस शुल्क का उद्देश्य तेल विपणन कंपनियों को हुए ₹43,000 करोड़ के नुकसान की भरपाई करना है।
उज्ज्वला योजना पर असर
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत करोड़ों गरीब परिवारों को सब्सिडी दर पर गैस सिलेंडर मिलते हैं। इस योजना के तहत मिलने वाले सिलेंडर की कीमत अब ₹503 से बढ़कर ₹553 हो गई है। यह बढ़ोतरी उन महिलाओं को प्रभावित करेगी जो सीमित आय में घर चलाती हैं।
प्रमुख शहरों में नया एलपीजी सिलेंडर रेट (14.2 किग्रा)
शहर पुरानी कीमत नई कीमत
नई दिल्ली 803.00 853.00
कोलकाता 829.00 879.00
मुंबई 802.50 852.50
नोएडा 800.50 850.50
भुवनेश्वर 829.00 879.00
चंडीगढ़ 812.50 862.00
हैदराबाद 855.00 905.00
विपक्ष का हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह महंगाई गरीबों की कमर तोड़ रही है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। “एलपीजी गैस सिलेंडर की ही कमी रह गई थी, मोदी जी। इस बार तो महंगाई का चाबुक ‘उज्ज्वला’ की ग़रीब महिलाओं की बचत पर भी चल गया।”अन्य विपक्षी नेताओं ने भी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह फैसला चुनावों से पहले किए गए वादों के बिल्कुल विपरीत है और आम जनता को राहत देने के बजाय उसे और संकट में डाला जा रहा है।
आम जनता का दर्द
दिल्ली की गृहिणी सीमा वर्मा कहती हैं, “रोजमर्रा के खर्चे पहले ही बहुत बढ़ गए हैं। अब गैस के दाम में ये बढ़ोतरी सीधे घर के बजट को प्रभावित करती है। हर महीने का खर्च संभालना मुश्किल होता जा रहा है।”
छोटे व्यवसायियों और फूड स्टॉल चलाने वालों पर भी इसका असर पड़ेगा। एक ढाबा संचालक ने बताया कि गैस महंगी होने से उनके खाने के दाम भी बढ़ाने पड़ेंगे, जिसका सीधा असर ग्राहक संख्या पर पड़ेगा।
आगे क्या
पेट्रोलियम मंत्री पुरी ने यह भी कहा कि गैस की कीमतों की हर 2-3 सप्ताह में समीक्षा की जाती है और आगे भी की जाएगी। उन्होंने संकेत दिए कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें स्थिर या कम होती हैं, तो कीमतों में फिर से संशोधन किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें हाल में घटकर लगभग $60 प्रति बैरल हो गई हैं, लेकिन कंपनियों के पास पुराना स्टॉक है जो औसतन $75 प्रति बैरल पर खरीदा गया था। इसके चलते अभी राहत की उम्मीद सीमित है।
सरकार का यह फैसला जहां अंतरराष्ट्रीय कारणों और कंपनियों के घाटे की भरपाई के लिए जरूरी बताया जा रहा है, वहीं आम जनता इसे महंगाई का नया थप्पड़ मान रही है। उज्ज्वला योजना की लाभार्थी महिलाएं हों या शहरी मध्यम वर्ग, हर कोई अब गैस कनेक्शन के खर्च को लेकर और सतर्क हो गया है। जनता की उम्मीद है कि सरकार भविष्य में इन बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाएगी और आम उपभोक्ता को राहत देगी। फिलहाल, बढ़ती कीमतों ने रसोई से लेकर सियासत तक गर्मी ला दी है।