उत्तराखंड सरकार ने आगामी चार धाम यात्रा से पहले प्रशासनिक तैयारियों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को राज्य के सभी जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक कर साफ शब्दों में चेतावनी दी कि जनसेवाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस बैठक को चार धाम यात्रा, गर्मी के मौसम और मानसून से पहले की रणनीतिक तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
जनसेवाएं हों प्रभावी, तेज और जवाबदेह
मुख्यमंत्री धामी ने प्रशासनिक अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि जनता को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी दोहराया कि जिलाधिकारी अपने-अपने जिलों में जनसेवा प्रणाली को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाएं। इसमें जनता दरबार, तहसील दिवस और बहुउद्देशीय शिविरों के माध्यम से सीधे संवाद और समाधान सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिकायतों का त्वरित समाधान, पारदर्शिता और जिम्मेदारी ही प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि जो भी अफसर अपने कर्तव्यों में कोताही बरतेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
चारधाम यात्रा पर विशेष ध्यान
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन गतिविधि है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हर साल शामिल होते हैं। इस वर्ष यात्रा को और अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए यात्रा मार्गों की स्थिति, कंट्रोल रूम की सक्रियता, स्वास्थ्य सेवाएं और ट्रैफिक प्रबंधन को चाक-चौबंद करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि यात्रा मार्गों पर प्रत्येक पड़ाव पर सुविधाएं हों, विश्राम की व्यवस्था हो, और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहे। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को भी यात्रा से लाभ मिल सके, इसके लिए स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की बात कही गई।
सड़कें हों गड्ढा मुक्त, पेयजल-बिजली व्यवस्था दुरुस्त
राज्य की सड़कों की बदहाल स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अगले 15 दिनों में सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जाए। इसके अलावा पेयजल और बिजली आपूर्ति की भी समय रहते समीक्षा कर जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दिए गए। गर्मी के मौसम को देखते हुए पेयजल की मांग बढ़ना तय है, ऐसे में किसी भी इलाके में पानी की किल्लत नहीं होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने मानसून से पहले नालों की सफाई, जलभराव रोकने और नदी ड्रेजिंग के कार्य को प्राथमिकता से करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जल जनित बीमारियों को रोकने के लिए स्वच्छता अभियान तेज किया जाए।
वनाग्नि पर त्वरित कार्रवाई जरूरी
उत्तराखंड के जंगलों में हर साल गर्मियों के दौरान आग लगने की घटनाएं होती हैं, जिससे ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि मानव जीवन और वन्य जीवों पर भी खतरा मंडराता है। मुख्यमंत्री ने वन विभाग को निर्देश दिए कि वनाग्नि की घटनाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कंट्रोल रूम की निगरानी बढ़ाने, स्थानीय लोगों की सहभागिता लेने और फायर लाइन को मजबूत करने की बात कही।
इसके साथ ही उन्होंने ट्रैफिक कंट्रोल, एंबुलेंस सेवाएं और मेडिकल इमरजेंसी के लिए विशेष टीमों के गठन के निर्देश दिए। सभी विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर एक साझा कार्य योजना पर काम करने की जरूरत पर जोर दिया गया।
अवैध अतिक्रमण और मिलावटखोरी पर सख्ती
मुख्यमंत्री ने राज्यभर में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक भूमि और सड़कों पर हो रहे अतिक्रमण को तत्काल हटाया जाए। इसके अलावा खाद्य सामग्री में मिलावट की बढ़ती शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए बाजारों में सैंपलिंग की संख्या बढ़ाने और गुणवत्ता की नियमित जांच करने के निर्देश भी दिए गए।
उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को सक्रिय किया जाए और दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो। उपभोक्ताओं की सेहत से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे
बैठक में केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं का लाभ अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने, पात्र व्यक्तियों की पहचान करने और लाभ समय पर प्रदान करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल सेवाओं का अधिकतम उपयोग किया जाए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और लाभार्थियों को समय पर सहायता मिले।
श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह बैठक प्रशासनिक सख्ती और जवाबदेही के स्पष्ट संकेत देती है। चारधाम यात्रा से पहले राज्य सरकार ने कमर कस ली है और यह सुनिश्चित करने में लगी है कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। इसके साथ ही आम जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान और जनसेवाओं की गुणवत्ता में सुधार राज्य सरकार की प्राथमिकता है। अगर यह दिशा और रफ्तार बनी रही, तो उत्तराखंड प्रशासनिक दृष्टि से एक मिसाल बन सकता है।