जब शेयर बाजार धड़ाम होता है, तब निवेशकों की सबसे पहली शरण स्थली होती है—सोना और चांदी। सोमवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। वैश्विक स्तर पर फैले आर्थिक तनाव, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव और ट्रंप टैरिफ के संभावित असर ने दुनियाभर के शेयर बाजारों को हिला कर रख दिया। भारत में सेंसेक्स 4000 अंकों की भारी गिरावट के साथ धड़ाम हुआ, वहीं निफ्टी 21,800 के नीचे फिसल गया। ऐसे में निवेशकों ने एक बार फिर से सुरक्षित निवेश विकल्प यानी सोने-चांदी की ओर रुख किया। उधर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 8 अपैल को सर्राफा बाजार में सोने की कीमतों में हलचल देखने को मिली। 24 कैरेट सोने का भाव ₹94,072 प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया है, जबकि 22 कैरेट सोना ₹86,665 प्रति 10 ग्राम की दर पर बिक रहा है। वहीं 18 कैरेट सोने की कीमत ₹70,909 प्रति 10 ग्राम रही। घरेलू बाजार में वैश्विक घटनाओं और डॉलर की मजबूती का असर साफ दिखाई दे रहा है। निवेशकों की नजर अब आगे आने वाले दिनों में कीमतों की दिशा पर टिकी हुई है। बाजार विशेषज्ञ सतर्क निवेश की सलाह दे रहे हैं।
भारतीय बाजार में सोना-चांदी मजबूत
सोमवार को मल्टि कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने और चांदी की कीमतों में मजबूती दर्ज की गई। सोना ₹301 यानी 0.34% की तेजी के साथ ₹88,376 प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा, जबकि चांदी ₹1,487 यानी 1.71% बढ़कर ₹88,698 प्रति किलो पर पहुंच गई। यह तेजी इस बात का संकेत है कि निवेशक अनिश्चित माहौल में एक बार फिर सोने-चांदी को सुरक्षित मान रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट
1- भारत में जहां सोने और चांदी के दाम बढ़े, वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई।
2- स्पॉट गोल्ड 1.9% गिरकर 2,981.09 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। यह 13 मार्च के बाद का सबसे निचला स्तर है।
3- महज कुछ दिन पहले, यानी 3 अप्रैल को स्पॉट गोल्ड 3,167.57 डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर था।
4- यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 1.3% गिरकर 2,997.40 डॉलर पर बंद हुआ।
स्पॉट सिल्वर की हालत और खराब रही, जो 2.8% गिरकर 28.74 डॉलर प्रति औंस पर आ गई—यह सात महीनों में सबसे निचला स्तर है। इस गिरावट का एक बड़ा कारण अमेरिकी डॉलर में आई मजबूती और वैश्विक निवेशकों की सतर्कता है।
टैरिफ वॉर का वैश्विक असर
अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर व्यापार युद्ध जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं। अमेरिका ने जहां विभिन्न देशों पर टैरिफ लागू करने का संकेत दिया है, वहीं चीन ने भी जवाब में 34% तक का टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे वैश्विक व्यापार तंत्र हिल गया है और निवेशकों के बीच असमंजस का माहौल पैदा हो गया है।
इसी के चलते शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ी और निवेशक सुरक्षित विकल्प की तलाश में सोने-चांदी की ओर लौटे। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी गिरावट ने यह साबित कर दिया कि अब केवल सेफ हेवन के भरोसे निवेश करना काफी नहीं है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पर नजर
विशेषज्ञ राहुल कालांत्री के अनुसार, सोने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन स्तर (Support Level) 2,978 से 3,000 डॉलर और प्रतिरोध स्तर (Resistance Level) 3,055 से 3,075 डॉलर के बीच है।
रुपये में इसका समर्थन स्तर 87,350 से 87,760 रुपये और प्रतिरोध स्तर 88,610 से 89,190 रुपये है।
चांदी के लिए भी इसी तरह के सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तर तय किए गए हैं, जो निवेशकों को दिशा देने का काम करते हैं।
निवेशकों के लिए क्या है संकेत
ऐसा नहीं है कि सोना अब असुरक्षित हो गया है, लेकिन यह ज़रूर स्पष्ट हो गया है कि बाजार की चाल अब बेहद अस्थिर हो चली है। पहले यह माना जाता था कि जब भी बाजार गिरेगा, सोना सुरक्षित निवेश साबित होगा। लेकिन अब वैश्विक गिरावट ने इस धारणा को चुनौती दी है।
निवेशकों के लिए जरूरी है कि वे बाजार की तकनीकी चाल को समझें, सपोर्ट-रेजिस्टेंस का विश्लेषण करें और फिर रणनीतिक निर्णय लें। सिर्फ भावनाओं के आधार पर निवेश करना अब जोखिमभरा हो सकता है।
क्या अब भी सोना है ‘सेफ हेवन’
इतिहास गवाह है कि जब-जब दुनिया संकट में घिरी, निवेशकों ने सोने की शरण ली। लेकिन मौजूदा समय में हालात बदल चुके हैं। अब निवेशक ज्यादा सजग हैं और विविध पोर्टफोलियो बनाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ऐसे में केवल सोने पर भरोसा करना उचित नहीं। हां, सोना अभी भी दीर्घकालिक निवेश के लिए अच्छा विकल्प है, लेकिन अल्पकालिक अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सतर्कता और रणनीति की जरूरत
इस वक्त निवेशकों को भावनात्मक फैसले लेने से बचना चाहिए। बाजार में जो भी उतार-चढ़ाव हो रहा है, वह नीतिगत फैसलों और वैश्विक घटनाओं का नतीजा है। इसलिए निवेश से पहले बाजार की दिशा और वैश्विक परिस्थितियों का गहन अध्ययन जरूरी है।
समझदारी से करें निवेश
सोने-चांदी की कीमतों में उठापटक फिलहाल जारी रहेगी। भारतीय बाजार में मजबूती दिख रही है, लेकिन वैश्विक अस्थिरता का दबाव हमेशा बना रहेगा। ऐसे में निवेशकों के लिए सबसे बेहतर रणनीति यही होगी कि वे निवेश के फैसले जल्दबाज़ी में न लें, विशेषज्ञों की सलाह लें और दीर्घकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अपनी निवेश योजना बनाएं। याद रखें, बाजार में स्थिरता नहीं, समझदारी ही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है।