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मुख्यमंत्री धामी का बड़ा फैसला : चकराता-पुरोला विधानसभा की 80 योजनाएं निरस्त, जानिए क्या है पूरा मामला

उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासन में इन दिनों एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय चर्चा में है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चकराता और पुरोला विधानसभा क्षेत्रों की 80 योजनाओं को निरस्त करने का आदेश दिया है। इस निर्णय के बाद संबंधित विभागों में खलबली मच गई है। योजनाओं को रद्द किए जाने की मुख्य वजह, कुछ खास लोगों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के आरोप बताए जा रहे हैं। यह मामला तब सामने आया जब मुख्यमंत्री जन शिकायत पोर्टल पर स्थानीय लोगों की ओर से अनियमितता और पक्षपात की कई शिकायतें प्राप्त हुईं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए योजनाओं की जांच और निरस्तीकरण का आदेश दे दिया।

क्या है पूरा मामला

मुख्यमंत्री धामी को मिली शिकायतों के अनुसार, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) बाहुल्य इलाकों में चलाई जा रही योजनाओं में भारी गड़बड़ी की जा रही थी। आरोप था कि इन योजनाओं को मंजूर कराने के पीछे कुछ लोगों को व्यक्तिगत रूप से लाभ पहुंचाना मुख्य उद्देश्य था, न कि इन वर्गों के सामुदायिक विकास का। इसी संदर्भ में 21 मार्च 2025 को, समाज कल्याण विभाग के सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने इन योजनाओं के लिए 54.15 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया था। लेकिन इसके बाद लगातार योजनाओं में अनियमितता की शिकायतें सामने आती रहीं।

कैसे हुआ निरस्तीकरण का फैसला

शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने मामले की गहराई से जांच कराने के निर्देश दिए। पुरोला के भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल ने भी व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री से मिलकर इस मुद्दे को उठाया था। इसके बाद 31 मार्च को, अपर सचिव प्रकाश चंद्र ने आदेश जारी कर इन 80 योजनाओं को निरस्त कर दिया। उन्होंने समाज कल्याण निदेशक को निर्देश दिए हैं कि इन योजनाओं के लिए स्वीकृत बजट को समर्पित (Surrender) किया जाए और शासन को उसकी सूचना भेजी जाए।

किन विधानसभा क्षेत्रों में हुई थी गड़बड़ी

यह बजट सिर्फ चकराता और पुरोला तक ही सीमित नहीं था। समाज कल्याण विभाग ने SC/ST बाहुल्य कई क्षेत्रों के लिए योजनाएं मंजूर की थीं, जिनमें शामिल हैं पिथौरागढ़, डीडीहाट, धारचूला, गंगोत्री, यमुनोत्री, प्रतापनगर, थराली, सोमेश्वर, पौड़ी, अल्मोड़ा, कर्णप्रयाग, बदरीनाथ, लोहाघाट, श्रीनगर, हरिद्वार ग्रामीण, रुड़की, भगवानपुर, लक्सर, खानपुर, बागेश्वर। हालांकि, अनियमितताओं की पुख्ता शिकायतें मुख्य रूप से चकराता और पुरोला क्षेत्रों से मिली थीं, जिस कारण यहीं की 80 योजनाओं को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया गया है।

समाज कल्याण विभाग के सचिव ने भी इस निरस्तीकरण की पुष्टि की

समाज कल्याण विभाग के सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने भी इस निरस्तीकरण की पुष्टि करते हुए कहा, “कुछ क्षेत्रों से योजनाओं के दुरुपयोग की शिकायतें आई थीं। इसलिए सरकार ने इन योजनाओं को रोकने का निर्णय लिया। भविष्य में इन क्षेत्रों के लिए पुनः बजट जारी करने पर विचार किया जाएगा। वहीं अपर सचिव प्रकाश चंद्र ने इसे Policy Decision बताते हुए कहा कि शासन की मंशा पूरी पारदर्शिता के साथ योजनाओं को लागू करने की है।

जन शिकायत पोर्टल बना सहारा

यह पूरा मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि मुख्यमंत्री जन शिकायत पोर्टल (https://cmhelpline.uk.gov.in) कितनी प्रभावी भूमिका निभा रहा है। आम जनता की शिकायतों को न केवल गंभीरता से लिया जा रहा है, बल्कि उस पर त्वरित कार्रवाई भी हो रही है। मुख्यमंत्री धामी की कार्यशैली में सामाजिक न्याय और पारदर्शिता को सर्वोपरि माना जाता है और इस फैसले से यह बात दोबारा सामने आई है।

विपक्ष क्या कह रहा है

हालांकि अभी तक विपक्ष की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कुछ नेता इसे सरकार की अंदरूनी राजनीतिक खींचतान का नतीजा भी बता रहे हैं। वहीं सत्ता पक्ष इस फैसले को “साहसिक और पारदर्शी प्रशासनिक कार्रवाई” बता रहा है।

आगे क्या होगा

अब देखने वाली बात यह होगी कि शासन इन निरस्त योजनाओं की पुन: समीक्षा कब तक करता है और इसके स्थान पर कौन-सी नई योजनाएं मंजूर की जाएंगी। साथ ही यह भी संभावना जताई जा रही है कि इस मामले में शामिल प्रशासनिक अधिकारियों या योजनाएं लाभान्वित करने वाले लोगों के खिलाफ भी जांच शुरू हो सकती है। उत्तराखंड सरकार के इस निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ योजनाएं लागू करना सरकार की प्राथमिकता है। चकराता और पुरोला जैसे दूरस्थ क्षेत्रों के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब उनके लिए सच में विकासपरक और जनहितकारी योजनाएं लागू होंगी। मुख्यमंत्री धामी की त्वरित कार्रवाई और जनता की शिकायतों पर संवेदनशील रुख ने एक बार फिर प्रशासन में जनभागीदारी और जवाबदेही का उदाहरण प्रस्तुत किया है।