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उत्तराखंड के दो जिलों में बेटियों के जन्म पर रिकॉर्ड सफलता, पौड़ी गढ़वाल और ऊधम सिंह नगर सबसे आगे

उत्तराखंड में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को बल देने वाली प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत दो बेटियों के जन्म पर मिलने वाले प्रोत्साहन में राज्य को बड़ी कामयाबी मिली है। पौड़ी गढ़वाल और ऊधम सिंह नगर जिले इस दिशा में सबसे आगे निकले हैं, जहां दोनों बेटियों के जन्म दर पर 106 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य हासिल किया गया। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को बेटी के जन्म पर आर्थिक सहायता देकर उन्हें सशक्त बनाना और समाज में बेटियों के महत्व को बढ़ाना है।

दो बेटियों पर आर्थिक प्रोत्साहन

मातृ वंदना योजना के तहत पहली संतान के रूप में बेटी के जन्म पर पांच हजार रुपये दो किश्तों में दिए जाते हैं, जबकि दूसरी संतान भी बेटी होने पर छह हजार रुपये की एकमुश्त सहायता राशि सीधे महिला के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। योजना का लाभ लेने के लिए गर्भवती महिला को नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र या स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकरण कराना जरूरी होता है।

आंकड़ों में उत्तराखंड की उपलब्धि

वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए महिला सशक्तीकरण एवं बाल कल्याण विभाग ने प्रथम बालिका के लिए 58,173 और दूसरी बालिका के लिए 21,105 पंजीकरण का लक्ष्य तय किया था। इनमें से 51,790 प्रथम बालिका और 17,527 द्वितीय बालिका पंजीकरण दर्ज किए गए। इस दौरान 1.34 लाख महिलाओं को कुल 41 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि दी गई।

जिलेवार प्रदर्शन

पौड़ी गढ़वाल : पहली बालिका के 1790 के लक्ष्य के मुकाबले 1926 पंजीकरण, दूसरी बालिका के लिए 596 के लक्ष्य के मुकाबले 607 पंजीकरण (106% सफलता)

ऊधम सिंह नगर : दोनों श्रेणियों में लक्ष्य से अधिक पंजीकरण, कुल सफलता दर 106%

देहरादून व बागेश्वर : 100% से अधिक सफलता

चमोली: 88%

रुद्रप्रयाग: 98%

नैनीताल: 84%

चंपावत: 76%

उत्तरकाशी: 79%

पिछड़े जिले
कुछ जिलों में अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी:

पिथौरागढ़: केवल 45% पंजीकरण

हरिद्वार: 73%

टिहरी गढ़वाल: 75%

इन जिलों में पंजीकरण की कम संख्या विभाग के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

आगे की रणनीति

राज्य की नोडल अधिकारी आरती बलोदी के अनुसार, 2025-26 में उन जिलों का लक्ष्य बढ़ाया जाएगा, जहां समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक रुझान दिखा है। साथ ही पिछड़े जिलों में विशेष जागरूकता अभियान चलाकर पंजीकरण बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।

अधिकारियों की राय

महिला सशक्तीकरण एवं बाल कल्याण निदेशक प्रशांत आर्य ने कहा कि, पहली और दूसरी बालिका के जन्म पंजीकरण में प्रदेश ने अच्छा प्रदर्शन किया है। आने वाले वर्ष में ऐसे लक्ष्य तय किए जाएंगे जिससे कोई भी महिला योजना के लाभ से वंचित न रहे। जहां पंजीकरण कम हुए हैं, वहां के कारणों की समीक्षा की जाएगी।

उत्तराखंड सरकार की यह योजना ना केवल बेटियों के जन्म को सम्मान देने की दिशा में एक सशक्त कदम है, बल्कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण और लिंगानुपात सुधारने की दिशा में भी सार्थक साबित हो रही है। यदि अन्य राज्यों में भी इस तरह की योजनाएं प्रभावी तरीके से लागू हों तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का सपना हकीकत में बदल सकता है।