‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के विचार को साकार करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब व्यापक जनजागरूकता अभियान शुरू कर दिया है। अब तक जिलावार सम्मेलनों के ज़रिए लोगों तक पहुंचने के बाद भाजपा ने सोशल मीडिया को माध्यम बनाकर आमजन को इस अभियान से जोड़ने की योजना तैयार की है। पार्टी का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक लोगों को इस विचार के समर्थन में लाया जाए ताकि 2034 तक इसे धरातल पर उतारा जा सके।
हरियाणा भाजपा ने बनाई सोशल मीडिया रणनीति
पंचकूला स्थित भाजपा कार्यालय ‘पंचकमल’ में हाल ही में सोशल मीडिया विभाग और सात जिलों के संयोजकों की बैठक हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को जन-जन तक पहुंचाने की रणनीति पर चर्चा हुई। बैठक में प्रदेश संगठन मंत्री फणींद्र नाथ शर्मा, प्रदेश महामंत्री सुरेंद्र पूनिया और एक राष्ट्र-एक चुनाव अभियान के प्रदेश सह संयोजक मदन मोहन छाबड़ा सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
100 से अधिक सम्मेलन, अब सोशल मीडिया पर फोकस
मदन मोहन छाबड़ा ने बताया कि पिछले दो महीनों में हरियाणा में 100 से अधिक सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें किसान, व्यापारी, शिक्षक, युवा और बुद्धिजीवी वर्ग को इस अभियान से जोड़ा गया है। अब अगला चरण सोशल मीडिया प्रचार का है, जहां फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करके विचारधारा को व्यापक स्तर पर फैलाया जाएगा।
फणींद्र नाथ शर्मा ने कहा कि आज देश का हर नागरिक किसी न किसी रूप में सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है, इसलिए जनमत तैयार करने के लिए यह सबसे प्रभावी माध्यम बन सकता है। सुरेंद्र पूनिया ने जोर देते हुए कहा कि यह अभियान राष्ट्रहित में है और जनता को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
कांग्रेस कर रही विरोध, इतिहास से दिया गया जवाब
छाबड़ा ने कांग्रेस के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक समय था जब 1967 तक देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हितों के कारण चुनावों को अलग-अलग कराने की परंपरा शुरू की। इससे देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है, जिससे विकास प्रभावित होता है और मतदान दर भी गिरती है।
खर्च में कमी और मतदाता उत्साह बढ़ेगा
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बंतो कटारिया ने कहा कि अगर सभी चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे चुनावी खर्च में भारी कमी आएगी और मतदाता भी अधिक उत्साह से हिस्सा लेंगे। यह व्यवस्था देश के संसाधनों की बचत के साथ लोकतंत्र को मजबूत करेगी।
2034 तक संभव है कानून लागू होना
सितंबर 2023 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति की रिपोर्ट के आधार पर दो विधेयक – संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्रशासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक – लोकसभा में पेश किए गए। इन दोनों विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया है, और अनुमान है कि 2034 तक इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
भाजपा का यह अभियान अब एक जनआंदोलन का रूप लेने जा रहा है, जिसमें न केवल राजनीतिक समर्थन, बल्कि आमजन की भागीदारी को भी अहम माना जा रहा है।