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चारधाम यात्रा में अब अनिवार्य होगी घोड़े-खच्चरों की स्क्रीनिंग, इक्वाइन इन्फ्लुएंजा से सरकार सख्त मोड में

उत्तराखंड की प्रतिष्ठित चारधाम यात्रा इस वर्ष एक नई सतर्कता व्यवस्था के साथ शुरू होने जा रही है। धामी सरकार ने निर्देश दिए हैं कि यात्रा में शामिल होने वाले सभी घोड़े-खच्चरों की स्वास्थ्य जांच अनिवार्य होगी। यह निर्णय रुद्रप्रयाग जिले में इक्वाइन इन्फ्लुएंजा वायरस की पुष्टि के बाद लिया गया है। सरकार किसी भी संक्रमित पशु के चारधाम यात्रा में शामिल होने की संभावना को पूरी तरह से रोकना चाहती है।

इक्वाइन इन्फ्लुएंजा ने बढ़ाई चिंता

रुद्रप्रयाग जिले के विरोन और बस्ती गांवों में दर्जनों घोड़े-खच्चर इस संक्रामक रोग से संक्रमित पाए गए हैं। यह वायरस जानवरों के बीच तेजी से फैलता है और उनके स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। यही कारण है कि सरकार ने यात्रा के दौरान पशु चिकित्सा मानकों को और सख्त कर दिया है।

सभी सीमाओं पर होगी स्क्रीनिंग

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने उच्च स्तरीय बैठक कर अधिकारियों को निर्देशित किया है कि राज्य की सीमाओं और यात्रा रूट्स पर पशु रोग नियंत्रण चौकियां सक्रिय रूप से काम करें। रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर और टिहरी जैसे जिलों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अब केवल वही घोड़े-खच्चर चारधाम यात्रा में शामिल हो सकेंगे, जिन्हें अपने मूल जिले से ‘स्वास्थ्य प्रशिक्षण प्रमाण पत्र’ और वायरस की निगेटिव रिपोर्ट मिली होगी। बिना प्रमाणपत्र के किसी भी पशु को उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

स्वास्थ्य सुविधाएं और दवाओं की उपलब्धता बढ़ेगी

मंत्री बहुगुणा ने यह भी निर्देश दिए हैं कि जिन क्षेत्रों में संक्रमण की पुष्टि हुई है, वहां आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जल्द ही यात्रा रूट पर मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों की भी तैनाती की जाएगी ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल इलाज उपलब्ध कराया जा सके।

स्क्रीनिंग के पीछे सरकार का मकसद

चारधाम यात्रा में घोड़े-खच्चर तीर्थयात्रियों को पैदल दुर्गम रास्तों पर लाने-ले जाने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। यदि कोई जानवर संक्रमित होता है तो ना सिर्फ अन्य पशुओं को, बल्कि मानवों को भी बीमारी का खतरा हो सकता है, इसलिए सरकार इस बार नो कम्प्रोमाइज पॉलिसी अपना रही है।

सीमावर्ती राज्यों को भी भेजा जाएगा निर्देश

राज्य सरकार अन्य सीमावर्ती राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा को भी निर्देश भेज रही है कि वे अपने यहां से उत्तराखंड की यात्रा पर भेजे जाने वाले पशुओं की पूर्व स्क्रीनिंग और प्रमाणपत्र जारी करें। इससे यात्रा के दौरान किसी भी तरह की स्वास्थ्य आपदा से बचा जा सकेगा।

यात्रियों की सुरक्षा और पशुओं के कल्याण की दिशा में सार्थक पहल

उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय यात्रियों की सुरक्षा और पशुओं के कल्याण की दिशा में एक सार्थक पहल है। चारधाम यात्रा में हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार की संक्रमण की आशंका को शुरुआत में ही नियंत्रित करना जरूरी है। धामी सरकार की यह कार्यप्रणाली जहां व्यवस्थागत मजबूती दिखा रही है, वहीं यह भी स्पष्ट कर रही है कि चारधाम यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाना उसकी शीर्ष प्राथमिकता है।