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बैसाखी पर 6,700 से अधिक भारतीय सिखों को मिला पाकिस्तान का वीजा, 50 साल में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मंजूरी

बैसाखी पर्व पर इस बार ऐतिहासिक पल देखने को मिला है। भारत से 6,700 से अधिक सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान ने वीजा जारी किया है। यह संख्या पिछले 50 वर्षों में किसी एक धार्मिक अवसर पर दिए गए वीज़ा की सबसे बड़ी संख्या है। सिख श्रद्धालु खालसा पंथ की स्थापना दिवस और बैसाखी के पर्व पर ननकाना साहिब सहित अन्य गुरुद्वारों में आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए पाकिस्तान रवाना हुए हैं।

पारंपरिक उत्सव और ऐतिहासिक महत्व

बैसाखी, सिख धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक पर्व है। इसी दिन 1699 में दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। हर साल इस दिन को श्रद्धालु पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। इस बार, पाकिस्तान के गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में विशेष आयोजन किए गए हैं, जिसमें हजारों भारतीय सिख तीर्थयात्री भाग लेंगे।

पाकिस्तान ने 50 वर्षों में पहली बार दिखाया खुलापन

पाकिस्तान सरकार ने इस बार वीजा नीति में उदारता दिखाते हुए न केवल पारंपरिक 3,000 वीजा जारी किए, बल्कि 3,751 अतिरिक्त वीजा भी जारी किए हैं। यह निर्णय पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय और इवेक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) के विशेष अनुरोध पर लिया गया। वाघा बॉर्डर से ये तीर्थयात्री पाकिस्तान में प्रवेश कर रहे हैं।

एसजीपीसी की भूमिका अहम

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अनुसार, यह पिछले कई वर्षों में पहली बार है जब किसी धार्मिक उत्सव पर इतनी बड़ी संख्या में भारतीय सिखों को पाकिस्तान यात्रा का अवसर मिला है। SGPC ने 1,942 तीर्थयात्रियों के पासपोर्ट दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग को भेजे थे, जिन्हें इस बार बिना किसी अस्वीकार के वीजा मिल गया। SGPC के सचिव प्रताप सिंह ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया।

सरकारी प्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया

SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने पाकिस्तान उच्चायोग के चीफ कमिश्नर साद वाराइच को पत्र लिखकर वीजा देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल धार्मिक भावना का सम्मान है, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को भी मजबूती प्रदान करता है।

पंजाब के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री अरोड़ा ने भी पुष्टि की कि यह पहली बार है जब पाकिस्तान सरकार ने सभी सिख तीर्थयात्रियों के वीजा आवेदन स्वीकार किए हैं। उन्होंने इसे दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की दिशा में सकारात्मक कदम बताया।

धार्मिक समझौते के अंतर्गत यात्रा

भारत और पाकिस्तान के बीच 1974 के धार्मिक प्रोटोकॉल के तहत, सिख तीर्थयात्रियों को साल में चार बार पाकिस्तान स्थित पवित्र स्थलों की यात्रा की अनुमति होती है। इनमें गुरु नानक देव जी का जन्मदिन, बैसाखी, गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस और महाराजा रणजीत सिंह जी की पुण्यतिथि शामिल हैं।

श्रद्धालुओं की भावनाएं

कई श्रद्धालुओं ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि उनका वीजा पहले कई बार अस्वीकार हो चुका था। इस बार उन्हें उम्मीद नहीं थी, लेकिन अचानक वीजा मिलने की खबर से वे भावुक हो गए। एक श्रद्धालु ने कहा, “मैंने कई बार आवेदन किया, लेकिन हर बार निराशा मिली। अब जाकर मैं ननकाना साहिब के दर्शन कर सकूंगा, यह मेरे लिए सपना पूरा होने जैसा है।”

भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बीच यह एक सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण पहल मानी जा रही है। न केवल सिख श्रद्धालुओं को धार्मिक स्वतंत्रता का अनुभव हो रहा है, बल्कि इससे दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को भी नई ऊर्जा मिल रही है। आने वाले समय में ऐसे प्रयास शांति और भाईचारे की मिसाल बन सकते हैं।