हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थल पर उस समय हर किसी का दिल दहल गया, जब एक श्रद्धालु ने रेलवे ट्रैक के किनारे प्लास्टिक में लिपटे एक नवजात बच्चे को रोते हुए पाया। ये दृश्य किसी को भी अंदर तक झकझोर देने वाला था। सवाल यही उठ रहा है-क्या ममता इतनी निर्दयी हो सकती है?
काली मंदिर जा रहे भक्त ने देखी करुण तस्वीर
शनिवार को उत्तरी हरिद्वार के काली मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे एक श्रद्धालु की नजर रेलवे ट्रैक किनारे एक पॉलीथिन में लिपटे मासूम पर पड़ी। बच्चा बुरी तरह से रो रहा था और आस-पास कोई नहीं था। तत्काल उस श्रद्धालु ने बच्चे को उठाया और पुलिस को सूचना दी।
कुछ ही देर में हरकी पैड़ी चौकी प्रभारी संजीत कंडारी और खड़खड़ी चौकी प्रभारी सतेंद्र भंडारी मौके पर पहुंचे। एंबुलेंस आने से पहले ही पुलिसकर्मियों ने ई-रिक्शा से बच्चे को जिला महिला अस्पताल भिजवाया।
छह दिन का सुंदर नवजात, अस्पताल में भर्ती
बच्चे को तत्काल उपचार के लिए भर्ती कर लिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि नवजात की उम्र करीब छह से सात दिन है और उसका स्वास्थ्य अब स्थिर है। बच्चा बेहद सुंदर है, जिसे अस्पताल की महिला स्टाफ भी बड़े प्यार से संभाल रही है।
दंपतियों की कतार, लेकिन मां पर सवाल
नवजात की जानकारी मिलने के बाद कई नि:संतान दंपति उसे गोद लेने की इच्छा लेकर अस्पताल पहुंचे। वहीं दूसरी ओर, हर कोई उस मां को कोस रहा है जिसने अपने कलेजे के टुकड़े को इस बेरहमी से छोड़ दिया। अस्पताल के बाहर और सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं — एक मां अपने छह दिन के बच्चे को ऐसे कैसे छोड़ सकती है?
खतरे से भरी जगह, फिर भी चमत्कारिक रूप से सुरक्षित
बच्चा जिस जगह मिला, वहां अक्सर कुत्ते और अन्य जानवर मंडराते रहते हैं। ऐसे में उसका जिंदा मिलना एक चमत्कार जैसा ही माना जा रहा है। हर कोई यही कह रहा है कि शायद भगवान ने खुद उसकी रक्षा की।
पुलिस जांच में सीसीटीवी नदारद
पुलिस ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है, लेकिन जिस जगह नवजात मिला, वहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है। भीमगोड़ा और कांगड़ा मंदिर के पास के कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।
बाल संरक्षण समिति को भेजी रिपोर्ट
हरकी पैड़ी चौकी प्रभारी के अनुसार, मामले की जानकारी बाल संरक्षण समिति को दे दी गई है। आगे की कार्रवाई के तहत बच्चे की देखरेख और गोद लेने की प्रक्रिया समिति द्वारा तय की जाएगी।