नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए जाने के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने आज देशभर में ईडी कार्यालयों और केंद्रीय संस्थानों के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया।
पार्टी का कहना है कि यह केवल एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि सत्ता का दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिशोध है। कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, मोदी सरकार लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस इस तानाशाही के खिलाफ खड़ी रहेगी।
क्या है पूरा मामला
नेशनल हेराल्ड केस की शुरुआत 2014 में हुई थी जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यह आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों पर महज ₹50 लाख में नियंत्रण हासिल कर लिया, जिनकी कुल कीमत लगभग ₹2000 करोड़ आंकी गई। कांग्रेस नेताओं ने ‘यंग इंडियन’ नामक कंपनी बनाकर यह ट्रांजैक्शन किया। अब प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के कई सबूत मिले हैं, जिनमें: ₹18 करोड़ के फर्जी दान, ₹38 करोड़ का अवैध किराया, ₹29 करोड़ के फेक विज्ञापन, ईडी ने हाल ही में इस सिलसिले में 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
चार्जशीट और अगली सुनवाई
9 अप्रैल को ईडी ने इस मामले में अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें राहुल गांधी, सोनिया गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को आरोपी बनाया गया है। मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल 2025 को निर्धारित है।
कांग्रेस का जवाब: लोकतंत्र की लड़ाई
कांग्रेस का कहना है कि यह मामला चुनावी सीज़न में पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने की एक सोची-समझी साजिश है। पार्टी के नेताओं ने कहा कि वे किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटेंगे। पूरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बैनर और पोस्टर लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया। कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया, लेकिन अधिकांश जगहों पर आंदोलन शांतिपूर्ण रहा।
ED और सरकार का पक्ष
वहीं सरकार और ईडी का कहना है कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है और इसमें राजनीति की कोई भूमिका नहीं है। भाजपा नेताओं ने सवाल उठाया – अगर सब कुछ कानूनी तरीके से हुआ है, तो डर किस बात का?
राजनीतिक तूफान या कानूनी कार्रवाई
नेशनल हेराल्ड केस ने एक बार फिर से राजनीति और न्याय प्रणाली के बीच टकराव को उजागर कर दिया है। जहां कांग्रेस इसे “लोकतंत्र पर हमला” बता रही है, वहीं केंद्र सरकार इसे कानून के तहत की गई कार्रवाई मान रही है। अब सबकी निगाहें 25 अप्रैल पर टिकी हैं, जब अदालत इस मामले की अगली सुनवाई करेगी।