उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले से एक ऐतिहासिक उपलब्धि सामने आई है। यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग आखिरकार आरपार हो गई है। इस महत्वपूर्ण ब्रेकथ्रू की घड़ी का साक्षी बनने के लिए खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर मौजूद रहे। यह सुरंग उत्तराखंड की रणनीतिक और धार्मिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण परियोजना मानी जा रही है, जो चारधाम यात्रा के रूट को और भी सुगम बनाएगी।
मलबे में फंसे थे 41 मजदूर, 17 दिन चला था रेस्क्यू
इस सुरंग के निर्माण में बीते वर्ष नवंबर 2023 में एक बड़ा हादसा हुआ था, जब सुरंग के अंदर अचानक भारी मलबा आ गया और 41 मजदूर उसमें फंस गए थे। यह घटना न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश को झकझोर देने वाली थी। 17 दिन चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। इस रेस्क्यू मिशन को एक मिसाल के तौर पर देखा गया, जिसमें स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और विभिन्न एजेंसियों ने दिन-रात एक कर दिया था।
निर्माण कार्य में तेजी, बचे 30 मीटर पर हुआ पूरा फोकस
घटना के बाद कुछ समय के लिए कार्य बंद रहा, लेकिन वर्ष 2024 के मध्य में एनएचआईडीसीएल और कार्यदायी संस्था नवयुगा कंपनी ने निर्माण कार्य को दोबारा शुरू किया। सबसे बड़ी चुनौती थी सुरंग के अंतिम 30 मीटर हिस्से को पार करना, जहां सबसे ज्यादा मलबा जमा था। बीते कुछ महीनों में इंजीनियरों और मजदूरों ने लगातार मेहनत कर इस हिस्से को भी पूरा कर लिया।
मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुआ ब्रेकथ्रू
बुधवार को सुरंग के ब्रेकथ्रू की घोषणा की गई, और इस अवसर पर भव्य आयोजन किया गया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ना केवल इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनते हुए सुरंग का निरीक्षण किया, बल्कि निर्माण कार्य में योगदान देने वाले सभी मजदूरों और अधिकारियों को सम्मानित भी किया। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग राज्य के विकास और पर्यटन की दृष्टि से मील का पत्थर है। ये सुरंग ना सिर्फ चारधाम यात्रा को सुगम बनाएगी, बल्कि इस क्षेत्र में रोजगार और कनेक्टिविटी के नए द्वार भी खोलेगी।”
बाबा बौखनाग मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम भी आयोजित
सुरंग के बाहर स्थित बाबा बौखनाग मंदिर में भी इस अवसर पर एक विशेष प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया। स्थानीय आस्था का प्रतीक यह मंदिर सुरंग निर्माण के दौरान कई बार चर्चाओं में रहा था। माना जाता है कि स्थानीय लोग बाबा बौखनाग को सुरक्षात्मक शक्ति के रूप में पूजते हैं और उन्हें सुरंग निर्माण की सफलता का संरक्षक मानते हैं।
सुरंग निर्माण की पृष्ठभूमि
करीब 4.5 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का निर्माण कार्य वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। इसका उद्देश्य यमुनोत्री धाम तक की यात्रा को सुगम, सुरक्षित और समय की दृष्टि से कम करना था। यह सुरंग उत्तराखंड की चारधाम परियोजना का अहम हिस्सा है, जिससे विशेष रूप से चारधाम यात्रियों, सेना और स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा होगी।
आगे की योजनाएं
एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों के मुताबिक, सुरंग के ब्रेकथ्रू के बाद अब फिनिशिंग, वेंटिलेशन, सिग्नलिंग और सुरक्षा से संबंधित अन्य कार्यों को तेजी से पूरा किया जाएगा। अनुमान है कि आगामी कुछ महीनों में यह सुरंग यातायात के लिए पूरी तरह खोल दी जाएगी।
सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग के आरपार होने से न केवल एक निर्माण परियोजना पूरी हुई है, बल्कि यह उत्तराखंड की जुझारू भावना और कठिन परिस्थितियों में भी सफलता हासिल करने की क्षमता का प्रतीक बन चुकी है। अब यह सुरंग उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम तक की यात्रा को सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक बनाएगी—साथ ही यह राज्य के विकास में एक नई ऊर्जा भरने का कार्य करेगी।