हरियाणा के एक साधारण मजदूर रामपाल कश्यप का 14 वर्षों पुराना प्रण आखिरकार पूरा हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उन्हें जूते पहनाकर उनके संकल्प को पूर्ण किया। यह दृश्य न सिर्फ भावुक कर देने वाला था, बल्कि यह एक आम व्यक्ति की असाधारण आस्था, समर्पण और राजनीतिक विश्वास का जीवंत उदाहरण भी बन गया।
रामपाल का संकल्प और उसकी शुरुआत
कैथल जिले के गांव खेड़ी गुलाम अली निवासी रामपाल कश्यप पेशे से मजदूर हैं और मात्र पांचवीं कक्षा तक पढ़े हैं। करीब 14 साल पहले उनके गांव में एक व्यक्ति ने तंज कसा था कि भाजपा कभी सत्ता में नहीं आएगी। इस बात ने रामपाल को इतना विचलित किया कि उन्होंने उसी समय संकल्प ले लिया कि जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन जाते और वह खुद उनसे मिल नहीं लेते, तब तक वह जूते नहीं पहनेंगे।
यह कोई आसान व्रत नहीं था। तपती गर्मी, सर्दी की ठिठुरन और बारिश की फिसलन—रामपाल ने सब कुछ सहा लेकिन अपने संकल्प से डिगे नहीं। यहां तक कि उन्होंने अपने बेटे की शादी जैसे महत्वपूर्ण मौके पर भी चप्पल नहीं पहनी।
गांव वालों की तानों के बीच भी नहीं टूटा हौसला
रामपाल की इस जिद पर गांव में लोगों ने खूब मजाक भी उड़ाया, लेकिन उन्होंने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। बड़ा बेटा भी मजदूरी करता है। जब गांव के लोग उन्हें नंगे पैर वाला मोदी भक्त कहकर चिढ़ाते थे, तो भी रामपाल मुस्कुराकर आगे बढ़ते रहे।
राजनीति से पुराना नाता
रामपाल लगभग 40 वर्षों से भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कभी किसी और पार्टी का झंडा तक नहीं उठाया। RSS में शामिल होने की भी कोशिश की थी, लेकिन वहां स्थान नहीं मिल पाया। उनकी सादगी और निष्ठा ने भाजपा नेताओं को भी प्रभावित किया।
कैसे हुआ प्रधानमंत्री से मिलना संभव
यह मुलाकात संभव हुई भाजपा की राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा की वजह से। कुछ दिन पहले उन्होंने रामपाल से मुलाकात की थी और जब रामपाल ने अपना 14 साल पुराना संकल्प सुनाया, तो रेखा शर्मा ने उनकी कहानी का वीडियो बनाकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजा। इसके बाद PMO ने संज्ञान लिया और रामपाल को यमुनानगर रैली में आमंत्रित किया गया।
प्रधानमंत्री ने खुद पहनाए जूते, सोशल मीडिया पर शेयर किया वीडियो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली से पहले टेंट में रामपाल से मुलाकात की और खुद उन्हें जूते पहनाए। इस भावुक क्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। प्रधानमंत्री ने पोस्ट में लिखा- हरियाणा के यमुनानगर में कैथल के रामपाल कश्यप जी से मिलने का सौभाग्य मिला। इन्होंने 14 वर्ष पहले एक व्रत लिया था कि मोदी जब तक प्रधानमंत्री नहीं बन जाते और मैं उनसे मिल नहीं लेता, तब तक जूते नहीं पहनूंगा। मुझे आज उन्हें जूते पहनाने का अवसर मिला। मैं ऐसे सभी साथियों की भावनाओं का सम्मान करता हूं, परंतु मेरा आग्रह है कि वे ऐसे प्रण लेने के बजाय किसी सामाजिक अथवा देशहित के कार्य का प्रण लें।
रामपाल बने जन भावना का प्रतीक
रामपाल की कहानी आज पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। वह सिर्फ एक मजदूर नहीं, बल्कि वह उस जनभावना का प्रतीक बन गए हैं जो आम जनता को नेताओं से जोड़ती है। उनकी यह आस्था दर्शाती है कि राजनीति सिर्फ चुनावी वादों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों की भावनाओं, उम्मीदों और विश्वास का भी केंद्र है।