दुनिया में ऐसे-ऐसे शौक हैं, जो इंसान को चर्चा में ला देते हैं। कोई महंगी गाड़ियां खरीदता है, कोई आलीशान बंगले, तो कोई हीरे-जवाहरात। लेकिन सोचिए अगर कोई सिर्फ एक कुत्ते को खरीदने के लिए 50 करोड़ रुपये खर्च कर दे, तो क्या होगा? यह सुनकर शायद आप चौंक जाएं, लेकिन यह हकीकत है और वो भी भारत में।
कौन है ये सुपरडॉग
इस सुपरडॉग का नाम है वुल्फडॉग। ये कोई आम कुत्ता नहीं, बल्कि ऐसा जानवर है जो दिखने में भेड़िया लगता है, लेकिन है पालतू। इसे एक भारतीय डॉग ब्रीडर एस सतीश ने खरीदा है और इस खरीद की कीमत है — 50 करोड़ रुपये। यह राशि सुनकर न सिर्फ आम लोग, बल्कि सोशल मीडिया और सरकारी एजेंसियां भी दंग रह गई हैं।
क्या है वुल्फडॉग की खासियत
वुल्फडॉग का नाम सुनते ही दिल में एक रोमांच दौड़ जाता है। नाम ही नहीं, इसका अंदाज भी जंगल के किसी खूंखार जानवर जैसा है। यह नस्ल भेड़िये और कोकेशियन शेफर्ड का मिश्रण है। यानी इसके शरीर में एक भेड़िये की ताकत और एक गार्ड डॉग की वफादारी दोनों हैं।
इसकी आंखें ऐसी हैं जैसे किसी जंगल के राजा की निगाह हो, शरीर से ये एक विशालकाय जानवर की तरह दिखाई देता है और इसकी आवाज़ में ऐसी गुर्राहट होती है कि सामने वाला सहम जाए, यह जानवर रोजाना 3 से 4 किलो कच्चा मांस खाता है। इसकी भूख भी राजाओं जैसी है और इसके रख-रखाव में हर दिन हजारों रुपये खर्च होते हैं।
कौन हैं एस सतीश
एस सतीश भारत के एक मशहूर डॉग ब्रीडर हैं, जो इससे पहले भी कई दुर्लभ नस्लों के कुत्तों को पालने के लिए जाने जाते हैं। उनका ब्रीडिंग सेंटर बेंगलुरु में स्थित है और यहां देश-विदेश से लोग कुत्ते खरीदने आते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने जो किया, उसने उन्हें सिर्फ कुत्ता प्रेमी ही नहीं, बल्कि नेशनल हेडलाइन बना दिया है। 50 करोड़ रुपये की यह खरीद अब सुर्खियों का कारण बन गई है।
ED की नजर में कैसे आए सतीश
किसी व्यक्ति का 50 करोड़ रुपये का डॉग खरीदना कोई साधारण बात नहीं है। यही कारण है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस डील की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, ED को संदेह है कि इतनी बड़ी राशि शायद विदेशी मुद्रा अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन से जुड़ी हो सकती है। इसके बाद बेंगलुरु स्थित सतीश के घर और उनके केनल पर छापा मारा गया है। फिलहाल, जांच जारी है। सतीश ने दावा किया है कि यह खरीद पूरी तरह से वैध है और उन्होंने सभी दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। लेकिन ED की जांच तब तक जारी रहेगी जब तक संपूर्ण साक्ष्य सामने न आ जाएं।
सोशल मीडिया पर वुल्फडॉग छाया
जैसे ही वुल्फडॉग की तस्वीरें सामने आईं, सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया। किसी ने कहा “ये कुत्ता है या भेड़िया?” तो किसी ने लिखा “इतने में तो मैं तीन बंगलों के साथ रिटायरमेंट प्लान बना लूं!” मीम्स और जोक्स की बाढ़ आ गई — लेकिन एक बात सबने मानी: इस डॉग का रौब अलहदा है।
क्या है वुल्फडॉग की अंतरराष्ट्रीय कीमत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में वुल्फडॉग की कीमतें बहुत अधिक होती हैं, खासकर अगर वह शुद्ध ब्रीड का हो और जेन्युइन लाइसेंस के साथ हो। यूरोप और अमेरिका में इसकी कीमत 5 से 10 लाख डॉलर तक होती है। लेकिन भारत में 50 करोड़ में इसे खरीदना कई लोगों को असामान्य लग रहा है — और यही बात जांच का कारण भी बनी है।
डॉग ब्रीडिंग या लग्जरी शौक
यह मामला एक सवाल भी खड़ा करता है — क्या डॉग ब्रीडिंग अब लग्जरी से भी आगे निकल चुका है? क्या यह शौक अब आमदनी और वैभव का प्रतीक बन चुका है? एस सतीश जैसे डॉग ब्रीडर्स के लिए यह न केवल व्यवसाय है, बल्कि उनकी पहचान भी। लेकिन जब यह शौक 50 करोड़ के आंकड़े को छूने लगे, तो सरकार की नजर पड़ना स्वाभाविक है।
अब क्या आगे होगा
फिलहाल वुल्फडॉग सतीश के केनल में सुरक्षित है। उसे लेकर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन उसकी खरीद के तरीके पर सवाल उठ रहे हैं। ED इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह डील विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन से हुई, या फिर सारा कुछ कानूनी तरीके से हुआ है।
जब वफादारी बनी सुर्खियों की वजह
वुल्फडॉग की कहानी हमें यह दिखाती है कि कभी-कभी शौक भी इंसान को कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। एक ओर यह जानवर अपने सौंदर्य, ताकत और अनोखे स्वभाव से सबका दिल जीत रहा है, तो दूसरी ओर उसका मालिक सरकारी जांच के घेरे में है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है — लेकिन इतना तय है कि वुल्फडॉग अब सिर्फ एक कुत्ता नहीं, बल्कि भारत का सबसे चर्चित सुपरडॉग बन चुका है।