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हिरासत में अमानवीय यातना : SHO ने प्राइवेट पार्ट में डाला हरी मिर्च का घोल, ऐसा करने वाला इंस्पेक्टर गिरफ्तार, यहां का है मामला

हरियाणा के पलवल जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां पुलिस हिरासत में अमानवीय अत्याचार की पुष्टि होने के बाद तत्कालीन शहर थाना प्रभारी (SHO) इंस्पेक्टर राधेश्याम को गिरफ्तार कर लिया गया है। राधेश्याम पर आरोप है कि उन्होंने एक ठगी के आरोपी को न सिर्फ बेरहमी से पीटा, बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट में मिर्च का घोल डालकर यातना दी।

दिसंबर में हुआ था घटना का खुलासा, अब हुई गिरफ्तारी

यह मामला दिसंबर 2024 का है, जब एक साइबर ठगी में आरोपी बनाए गए राजस्थान निवासी युवक को पलवल पुलिस ने हिरासत में लिया था। आरोपी ने आरोप लगाया कि थाने में SHO राधेश्याम ने उसके हाथ-पैर बांधकर पीटा, जबरन हरी मिर्च का घोल पिलाया और फिर उसी घोल को इंजेक्शन में भरकर उसके गुप्तांग में डाल दिया गया।

इस क्रूरता की शिकायत आरोपी ने एसपी चंद्रमोहन को की थी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए गए। जांच में सीसीटीवी फुटेज और अन्य गवाहियों से पुष्टि हुई कि आरोप सही हैं।

16 अप्रैल को हुआ था निलंबन, अब गिरफ्तारी

16 अप्रैल 2025 को आईजी रेवाड़ी रेंज ने SHO राधेश्याम को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद विभागीय जांच तेज की गई और अंततः 19 अप्रैल को SHO राधेश्याम को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा।

एक से अधिक आरोपियों के साथ की गई थी मारपीट

डीएसपी कुलदीप सिंह ने जानकारी दी कि साइबर ठगी के एक मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य तीन आरोपियों के साथ भी SHO राधेश्याम ने मारपीट की थी। इन मामलों में अलग से विभागीय जांच चल रही है। पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन ने कहा, “कानून सबके लिए एक जैसा है। कोई भी अधिकारी कानून का दुरुपयोग करेगा, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।”

ठगी की शुरुआत बीमारी ठीक करने के बहाने से हुई थी

साइबर ठगी का यह मामला तब शुरू हुआ जब हुडा सेक्टर-दो निवासी सौरभ के पिता, जो लकवा के मरीज हैं, के पास दो व्यक्ति इलाज के बहाने पहुंचे। एक व्यक्ति ने थैरेपी के जरिए इलाज का दावा किया और 12 हजार रुपये जबरन वसूले। भागते वक्त एक आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया गया।

चार महीने बाद कार्रवाई, पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि आरोपी की शिकायत के बावजूद तत्कालीन SHO के खिलाफ कार्रवाई में चार महीने लग गए। अब जब मामला सार्वजनिक हुआ है और सबूत पुख्ता पाए गए हैं, तब जाकर SHO राधेश्याम पर FIR दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है।