उत्तराखंड बोर्ड 2025 की परीक्षा परिणाम में हिंदी विषय ने हजारों छात्रों की राह रोक दी है। इस वर्ष 10वीं और 12वीं कक्षा में कुल 6431 छात्र हिंदी के पेपर में फेल हो गए हैं। इन छात्रों में 10वीं कक्षा के 3582 छात्र और 12वीं कक्षा के 2849 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हिंदी विषय को हल्के में लेने और इसे गंभीरता से न लेने के कारण ये परिणाम सामने आए हैं।
10वीं और 12वीं कक्षा में हिंदी विषय का प्रभाव
इस वर्ष हाईस्कूल परीक्षा में 111088 छात्रों ने हिंदी विषय की परीक्षा दी थी, जिसमें से 107506 छात्र पास हुए और 3582 छात्र फेल हो गए। इसी तरह, इंटरमीडिएट परीक्षा में 103842 विद्यार्थियों ने हिंदी की परीक्षा दी, जिनमें से 100943 विद्यार्थी सफल रहे, जबकि 2899 छात्र फेल हो गए। हिंदी विषय में फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या में इस साल एक बड़ा इजाफा देखने को मिला है।
विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों की हिंदी विषय में रुचि कम हो गई है और अधिकांश छात्र इसे हल्के में लेकर परीक्षा देते हैं। हालांकि, हिंदी में 33 प्रतिशत अंक लाना जरूरी होता है, और इसमें ग्रेस (सुगमता) का कोई प्रावधान नहीं होता, जो छात्रों को और भी मुश्किल में डालता है। यही कारण है कि हिंदी विषय में फेल होने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।
हिंदी के अलावा अन्य विषयों में रिजल्ट
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों कक्षाओं में अन्य विषयों के परिणाम इस वर्ष बेहतर रहे हैं। हाईस्कूल में हिंदी का रिजल्ट 96.77 प्रतिशत रहा, जबकि उर्दू का 90.14 प्रतिशत, पंजाबी का 93.50 प्रतिशत, बंगाली का 94.73 प्रतिशत और अंग्रेजी का 95.63 प्रतिशत रिजल्ट रहा। संस्कृत में 97.30 प्रतिशत, गणित में 92.22 प्रतिशत, विज्ञान में 91.03 प्रतिशत और सोशल साइंस में 95.12 प्रतिशत छात्र सफल रहे।
इंटरमीडिएट कक्षा में हिंदी का रिजल्ट 97.20 प्रतिशत रहा। इसके अलावा, इंग्लिश का 91.22 प्रतिशत, संस्कृत का 93.86 प्रतिशत, उर्दू का 94.18 प्रतिशत और पंजाबी का 97.05 प्रतिशत रिजल्ट रहा। अन्य विषयों में भी अच्छे परिणाम आए, जैसे मनोविज्ञान में 98.95 प्रतिशत, समाजशास्त्र में 91.20 प्रतिशत और कंप्यूटर में 96.40 प्रतिशत छात्र पास हुए।
छात्रों के फेल होने का कारण
हिंदी के पेपर में फेल होने के मुख्य कारणों में छात्रों का विषय को गंभीरता से न लेना, परीक्षा के लिए पर्याप्त तैयारी न करना और हिंदी के कठिन प्रश्नों से घबराना शामिल हैं। हालांकि, हिंदी विषय का पाठ्यक्रम अन्य विषयों के मुकाबले हल्का नहीं होता, लेकिन छात्रों का ध्यान अन्य विषयों पर अधिक रहता है, जिससे हिंदी पर उनका ध्यान कम हो जाता है।
इस साल के बोर्ड परिणाम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि छात्रों को हिंदी जैसे महत्वपूर्ण विषय पर गंभीर ध्यान देना चाहिए, ताकि वे अपनी सफलता की दिशा में आगे बढ़ सकें। हिंदी के अलावा, अन्य विषयों में अच्छे परिणाम आने के बावजूद हिंदी में फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि चिंताजनक है।
पुलिस और शिक्षा विभाग का ध्यान
अधिकारियों का मानना है कि छात्रों को हिंदी जैसे विषय के प्रति जागरूक करने की जरूरत है, ताकि वे इस विषय को हल्के में न लें और अपनी तैयारी पूरी तरह से करें। शिक्षा विभाग और पुलिस दोनों ही इस पर विचार कर रहे हैं कि कैसे छात्रों को इस दिशा में सही मार्गदर्शन दिया जा सकता है, ताकि भविष्य में हिंदी विषय के परिणाम में सुधार हो।
इस वर्ष के बोर्ड परिणाम ने यह संकेत दिया है कि छात्रों को हिंदी और अन्य महत्वपूर्ण विषयों में अपनी तैयारी को मजबूत करना चाहिए, ताकि वे अच्छे परिणाम हासिल कर सकें और भविष्य में ऐसे परिणाम से बच सकें।