उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित श्री हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट खोलने की तैयारियां जोरों पर हैं। कपाट खुलने से पूर्व यात्रा मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। सेना और गुरुद्वारे के सेवादार संयुक्त रूप से इस चुनौतीपूर्ण कार्य में जुटे हैं, ताकि आने वाले तीर्थ यात्रियों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
घांघरिया से शुरू हुआ बर्फ हटाने का कार्य
रविवार को सेना के जवानों ने घांघरिया से एक किलोमीटर आगे तक पैदल यात्रा मार्ग से बर्फ हटाने का काम शुरू किया। हालांकि, दोपहर बाद क्षेत्र में तेज बारिश के कारण कार्य को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। सेना का यह दल शनिवार को गोविंदघाट से रवाना होकर घांघरिया पहुंचा था और अब यहीं से बर्फ हटाने की प्रक्रिया का संचालन कर रहा है। इस दल में कुल 21 सेना के जवान, अधिकारी और पांच गुरुद्वारे के सेवादार शामिल हैं। यह दल फिलहाल हेमकुंड साहिब के बेस कैंप — घांघरिया गुरुद्वारे — में ठहरा हुआ है।
मार्ग में 5 फीट से अधिक बर्फ, अटलाकोटी हिमखंड बना चुनौती
हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि यात्रा मार्ग पर अभी भी पांच फीट से अधिक बर्फ जमी हुई है। अटलाकोटी हिमखंड का आकार भी अत्यंत विशाल है, जिससे मार्ग को खोलना कठिन हो रहा है। अटलाकोटी से लेकर हेमकुंड साहिब तक लगभग तीन किलोमीटर क्षेत्र पूरी तरह से बर्फ से ढका हुआ है। सेना और सेवादारों की टीम दो चरणों में इस मार्ग को साफ करने का कार्य कर रही है। प्रथम चरण में अटलाकोटी तक बर्फ हटाकर रास्ता सुचारु किया जाएगा, जबकि द्वितीय चरण में अटलाकोटी से हेमकुंड साहिब तक हिमखंड को काटकर सुरक्षित रास्ता बनाया जाएगा।
तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि
सेना के जवानों और सेवादारों द्वारा किए जा रहे इस कार्य का उद्देश्य न केवल रास्ता खोलना है, बल्कि तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना है। हेमकुंड साहिब लगभग 15,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां मौसम कभी भी अचानक खराब हो सकता है। ऐसे में रास्ते से बर्फ हटाकर सुरक्षित मार्ग तैयार करना बेहद जरूरी है। रविवार को सुबह आठ बजे से दोपहर तक जवानों ने बिना रुके कार्य किया, लेकिन दोपहर बाद बारिश शुरू होने के कारण कार्य को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा। हालांकि, जैसे ही मौसम अनुकूल होगा, कार्य दोबारा शुरू कर दिया जाएगा।
हेमकुंड साहिब यात्रा: श्रद्धा, कठिनाई और सेवा का संगम
हेमकुंड साहिब सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जिसे गुरु गोविंद सिंह जी की तपस्थली के रूप में भी जाना जाता है। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु इस पवित्र स्थल की यात्रा करते हैं। लेकिन यह यात्रा जितनी आध्यात्मिक है, उतनी ही कठिन भी। ऊंचे पहाड़, बर्फ से ढके रास्ते और बदलते मौसम इस यात्रा को और भी चुनौतीपूर्ण बना देते हैं। यही कारण है कि सेना और सेवादारों द्वारा किया जा रहा यह कार्य श्रद्धालुओं के लिए एक वरदान की तरह है। उनके इस समर्पण से यह सुनिश्चित होता है कि यात्रा सुरक्षित और सुचारु रूप से संपन्न हो सके।
सेना और गुरुद्वारे के सेवादारों द्वारा की तैयारियां सराहनीय
श्री हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा को सफल और सुरक्षित बनाने के लिए सेना और गुरुद्वारे के सेवादारों द्वारा की जा रही तैयारियां सराहनीय हैं। बर्फ हटाने का यह कठिन कार्य एक समर्पण, सेवा भावना और संगठनात्मक सामर्थ्य का प्रतीक है। जैसे ही मौसम में सुधार होगा, कार्य और तेजी से आगे बढ़ेगा और जल्द ही तीर्थयात्री हिमालय की गोद में स्थित इस पावन स्थल की यात्रा कर सकेंगे।