Homeउत्तराखण्डएंटीबायोटिक और सिंथेटिक दवाएं कर रही हैं मछलियों की सेहत को नुकसान

एंटीबायोटिक और सिंथेटिक दवाएं कर रही हैं मछलियों की सेहत को नुकसान

पंतनगर : फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण के मामलों में एंटीबायोटिक और सिंथेटिक दवाओं का उपयोग मछलियों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है. इनका अधिक प्रयोग मछलियों के जीवन चक्र को भी प्रभावित कर सकता है.

इसी समस्या के समाधान के लिए पंतनगर के गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मत्स्य महाविद्यालय और रसायन विज्ञान विभाग ने औषधीय पौधों के नैनोपार्टिकल्स से शुद्ध यौगिक तैयार कर प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा मछलियों की सेहत सुधारने का प्रयोग किया है.

इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, और अब इस प्रयोग को बड़े स्तर पर लागू करने की तैयारी की जा रही है. पंत विवि के मत्स्य महाविद्यालय के अनुसार, फफूंद, पानी की गंदगी और परजीवियों के कारण मछलियां सेप्रोलेग्निया एक्लिया, विवियो एंगुइलटम और स्ट्रेप्टोकोकस एक्लेटिया जैसे संक्रमणों की चपेट में आ रही हैं.

विवि के रसायन विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रविंद्र कुमार के मुताबिक, मत्स्य उत्पादक इन मछलियों को बचाने के लिए एंटीबायोटिक और सिंथेटिक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, जिससे मछलियों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और उनके जीवन चक्र पर भी असर पड़ रहा है.

इस प्रकार की संक्रमित मछलियों के सेवन से इंसानों में भी फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा हो सकता है. इससे बचाव के लिए विवि के रसायन विज्ञान विभाग ने विभिन्न औषधीय पौधों के गुणों पर लैब में प्रयोग किया है, जो प्रभावी सिद्ध हुआ है.

संक्रमण से बचने के उपाय: अगर मछली खानी हो तो उसकी आंखें, गलफड़े, पंख और पूंछ हटाकर ही उपयोग करें. मछली को अच्छी तरह फ्राई या पूरी तरह पकाकर ही खाएं, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो सके.

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