भोजन और भूख के पीछे सामान्यतः आंत और पाचन तंत्र की भूमिका होनी चाहिए, लेकिन नए शोध में भूख जगाने में दिमाग की अहम भूमिका बताई गई है.
जर्मनी के बोन यूनिवर्सिटी और केंब्रिज यूनिवर्सिटी में किए गए इस अध्ययन के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि भोजन निगलने के दौरान दिमाग में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन निकलता है, जो भोजन की गुणवत्ता को आंकता है और भूख को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन फलों पर मंडराने वाली मक्खियों (फ्रूट फ्लाई) ‘ड्रोसोफिला’ पर किया. इन मक्खियों के दिमाग में 10 से 15 हजार न्यूरॉन होते हैं. अध्ययन में पता चला कि जब इन मक्खियों ने अच्छा भोजन किया, तो उनके दिमाग में सेरोटोनिन का उत्पादन होने लगा.
निगलने की प्रक्रिया पर किए गए इस अध्ययन से पता चला कि ओसोफेगस ट्यूब, जो गले से पेट तक भोजन को ले जाती है, में मौजूद सेंसर दिमाग को सिग्नल भेजते हैं. इसके बाद ही दिमाग में सेरोटोनिन बनना शुरू हो जाता है, जिसे “फील गुड हार्मोन” या “हैप्पी हार्मोन” के नाम से जाना जाता है. यह अध्ययन इंसानों के आंत और दिमाग के बीच के संबंध को भी स्पष्ट करता है.
शोधकर्ताओं का दावा है कि यह अध्ययन यह समझने में मदद करेगा कि हम क्यों खाते हैं और ओवरइटिंग के हालात कब शुरू होते हैं.
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह प्रणाली दिमाग में होती है. यह अच्छे और खराब भोजन में अंतर भी बताती है. भोजन को निगलने की प्रक्रिया के दौरान दिमाग में हैप्पी हार्मोन निकलता है, जिससे यह तय होता है कि यह भोजन अच्छा है और इसे ज्यादा खाना चाहिए.
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