जम्मू-कश्मीर एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। रविवार सुबह रामबन जिले के सेरी बागना इलाके में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। अब तक 3 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। कई मकान और गाड़ियां मलबे में दब गई हैं, और श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे को एहतियातन बंद कर दिया गया है।
रामबन में पहाड़ से आया मलबा, कई घर जमींदोज
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुबह से हो रही भारी बारिश के बीच अचानक बादल फटने की घटना घटी। इसके चलते गांव की तरफ तेज रफ्तार से मलबा और पानी आया, जिसने कई घरों को अपनी चपेट में ले लिया। गांव के निवासी जब तक कुछ समझ पाते, तब तक कई घर और वाहन मलबे में दब चुके थे। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, लेकिन खराब मौसम राहत कार्य में बाधा बन रहा है।
लैंडस्लाइड से श्रीनगर हाईवे ठप
रामबन के बनिहाल इलाके में भी कई जगह लैंडस्लाइड हुई है। इसकी वजह से जम्मू-श्रीनगर हाईवे पूरी तरह से बंद है। सैकड़ों वाहन हाईवे पर फंसे हुए हैं। वहीं, किश्तवाड़-पद्दर मार्ग भी लैंडस्लाइड के चलते बंद कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से मौसम साफ होने तक यात्रा न करने की अपील की है।
दर्दनाक मंजर : मलबे में दबे ट्रक, होटल, स्कूल
घटना के कुछ वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि पहाड़ से तेज रफ्तार मलबा आकर सड़कों और रिहायशी इलाकों को तबाह कर चुका है। एक वीडियो में भारत पेट्रोलियम का ट्रक, तीन-चार टैंकर, और कई निजी वाहन पूरी तरह मलबे में दबे दिख रहे हैं। यहां तक कि रामबन का एक सरकारी स्कूल और पुलिस चौकी भी इस मलबे की चपेट में आ गए हैं।
धर्मकुंड में 100 लोगों को निकाला गया
रामबन जिले के धर्मकुंड गांव, जो चेनाब नदी के किनारे बसा है, वह भी लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया। 10 घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं, जबकि 25-30 मकानों को आंशिक नुकसान हुआ है। पुलिस और रेस्क्यू टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए करीब 90-100 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है।
केंद्रीय मंत्री की निगरानी, मदद का भरोसा
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि वह लगातार रामबन के डिप्टी कमिश्नर बसीर-उल-हक चौधरी के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं और ज़रूरत पड़ने पर निजी संसाधनों से भी सहायता दी जाएगी। डॉ. सिंह ने बताया कि रामबन और आसपास के इलाकों में ओलावृष्टि, तेज हवाएं और भूस्खलन की कई घटनाएं हुई हैं। उन्होंने जिला प्रशासन की तत्परता की सराहना भी की।
जम्मू-कश्मीर में लैंडस्लाइड कोई नई बात नहीं
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में हर साल मानसून और भारी बारिश के दौरान लैंडस्लाइड की घटनाएं आम हैं। पिछले वर्ष 1 मई 2024 को कुपवाड़ा जिले में लैंडस्लाइड और बाढ़ से 5 लोगों की मौत हो गई थी। इसी तरह, डोडा, रियासी, किश्तवाड़, रामबन जैसे पहाड़ी जिलों में हर साल भारी बारिश के बाद सड़कें बंद हो जाती हैं, और जनजीवन ठप पड़ जाता है।
प्रशासन की चेतावनी
प्रशासन की ओर से लोगों को निचले इलाकों से दूर रहने, और अनावश्यक यात्रा न करने की सलाह दी गई है। विशेषकर पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और बादल फटने की संभावना अभी भी बनी हुई है। रेस्क्यू टीमों को अलर्ट पर रखा गया है और SDRF, पुलिस, सेना के जवान राहत कार्यों में जुटे हैं।
जम्मू-कश्मीर की यह घटना एक बार फिर से हमें याद दिलाती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम कैसे अचानक अपना रूप बदल सकता है। ऐसे इलाकों में सतर्कता और समय पर चेतावनी ही जनहानि को रोक सकती है। फिलहाल, राहत और बचाव का काम जारी है और प्रशासन पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है।