बागेश्वर: वन विभाग अब बंदर के काटने और ततैयों के डंक से होने वाली मौतों पर आपदा राहत के तहत मुआवजा देगा. मृतक के परिजनों को छह लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी. पहले इस तरह की घटनाओं में पीड़ित परिवार को कोई राहत नहीं मिलती थी, जबकि पहाड़ों में हर साल सांप के डसने और ततैयों के काटने से कई मौतें होती हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने दो महीने पहले नियमों में बदलाव किया है, हालांकि अभी भी ग्रामीणों को इस बदलाव की जानकारी नहीं है.
पहले जिले में गुलदार, जंगली सुअर, और सांप के काटने से मृत्यु होने पर मुआवजा दिया जाता था, लेकिन बंदर और ततैयों के काटने पर किसी तरह का मुआवजा नहीं मिलता था. पहाड़ी इलाकों में सबसे ज्यादा हमले बंदरों द्वारा होते हैं. हाल ही में अल्मोड़ा में बंदर के काटने से एक महिला की मौत हो गई थी. इसके अलावा, पिछले कुछ सालों में पहाड़ों में ततैयों के हमलों में भी वृद्धि देखी गई है.
पलायन के कारण गांव खाली हो रहे हैं, जिससे ततैयों की संख्या बढ़ गई है. पहले महिलाएं खेतों में ततैयों के घोंसलों को नष्ट कर देती थीं, लेकिन अब यह समस्या बढ़ गई है. इस साल अब तक ततैयों के हमलों में पांच लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है. बंदरों और ततैयों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने इन हमलों को आपदा की श्रेणी में रखा है और मुआवजे का प्रावधान किया है.
हालांकि, वन विभाग ने अभी तक इस नए नियम के बारे में लोगों को जागरूक नहीं किया है, जिसके कारण अधिकांश लोग मुआवजा पाने के प्रावधान से अनजान हैं. जानकारी की कमी के कारण पीड़ित परिवार मुआवजे का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.
वन क्षेत्राधिकारी एसएस करावत ने बताया कि बंदर और ततैयों के काटने से मौत होने पर मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर छह लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. यह प्रावधान दो महीने पहले लागू किया गया है.
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