बीते बुधवार की सुबह बागेश्वर के एक गांव रिखड़ी में बुजुर्ग दम्पत्ति ने जहर खा लिया. 75 साल के बुजुर्ग मोहन राम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. वह सालों से पत्नी का इलाज करा रहे थे पर बुधवार की सुबह हिम्मत हार गये. लम्बे समय से बीमारी से जूझ रही उनकी पत्नी किशनी देवी को जब पति के झर खाने की खबर लगी तो उन्होंने भी जहर खा लिया. बुजुर्ग दम्पत्ति को अस्पताल ले जाया गया. पत्नी किशनी देवी तो बच गयी पर मोहन राम नहीं बच सके.
अख़बार के भीतरी पन्नों में यह खबर छपी पर किसे फर्क पड़ा. ऐसी ही एक खबर पिछले साल भी तो अख़बार में छपी थी. जब एक मां और उसके तीन बच्चों की लाश घर के भीतर मिली थी. नंदी देवी की बेटी अंजलि कि वह चिट्ठी किसे याद है जिसमें वह बताती है कि खाने के लिए भी राशन नहीं है. यह घटना भी बागेश्वर जिले की ही थी.
काशीपुर में डॉक्टर दम्पत्ति की यह खबर भी एक साल पुरानी ही है. डॉ. इंद्रेश शर्मा ने पत्नी के ईलाज की 12 साल लड़ाई लड़ी. ईलाज ने डॉक्टर परिवार की आर्थिक हालत इस कदर ख़राब कर दी कि इकलौते बेटे की पढ़ाई तक छूट गयी. आखिर में डॉक्टर दम्पत्ति ने मौत को चुना.
पौड़ी गढ़वाल निवासी 23 वर्षीय धर्मवीर पंवार ने इसी साल जुलाई के महीने अपनी जान ले ली. धर्मवीर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने देहरादून आया था. सेना में भर्ती न हो पाने असफल युवा निर्मल पांडे ने पिछले साल अपनी जान ले ली. निर्मल अल्मोड़ा का रहने वाला था. चौथी बार सेना भर्ती में असफल होने के बाद उसने यह रास्ता चुना. यह सभी घटनाएं 2023 और 2024 में घटी हैं.
क्या आपने कभी सोचा है जब मोहन राम और उनकी पत्नी जैसे अन्य लोग अपने जीवन में बरसों तक संघर्ष की लड़ाई लड़ रहे थे उन बीते बरसों में उत्तराखंड के राजनेताओं की आर्थिकी में कितना अंतर आया होगा. क्या यह अटपटा नहीं है कि एक ओर 20 साल गरीबी से लड़ने के बाद मोहन राम मौत को चुनने को मजबूर हैं वहीं इन बीस से कम सालों में उत्तराखंड की विधानसभा में करोड़पतियों की संख्या 10 से बढ़कर 58 हो जाती है. वह कौन सा नुस्खा है जो उत्तराखंड के नेता अपने लोगों को नहीं बता रहे हैं.
उत्तराखंड बनने के बाद हमारे नेताओं के जीवन में नोटों का सावन खूब आया. नोटों की ऐसी बारिश हुई की लखपति नेता करोड़पति बन गये. करोड़पति नेताओं के सामने युवाओं के रोजगार का मुद्दा दो टके की नौकरी से ज्यादा कुछ नहीं. आज जिन 5 करोड़पति नेताओं के सावन की बात हम करने वाले हैं उसमें पहले हैं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत.
त्रिवेन्द्र सिंह रावत भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व के चहेते हैं इसीलिए 2022 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुई छीछालेदर के बावजूद, उनको इस साल हरिद्वार से लोकसभा बुलाया गया. 2007 में जब त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने डोईवाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा उनके पास 20 लाख 40 हजार रूपये के आस-पास की संपत्ति थी. इसमें 80 हजार रूपये की एग्रीकल्चरल लैंड शामिल थी और साल 2022 में उनके पास 55 लाख 73 हजार रूपये की एग्रीकल्चरल लैंड हो गयी. 2007 में उनके बैंक डिपोसिट आदि में करीब 70 हजार रूपया था यह 2022 में 59 लाख हो गया. 2024 में जब त्रिवेन्द्र सिंह रावत हरिद्वार में चुनाव लड़े तब वह 6 करोड़ 75 लाख के आस-पास की संपत्ति के मालिक थे.
जैसा हमारे राज्य में गढ़वाली-कुमाऊनी चलता ही है तो अब बात एक कुमाऊं के नेता की. बात करते हैं पूर्व कैबिनेट मंत्री अजय भट्ट की. 2007 में जब अजय भट्ट ने रानीखेत से विधानसभा चुनाव हारा उस समय उनके पास 1 लाख 25 हजार रूपये के आस-पास की संपत्ति थी. इस समय उनकी यह पूरी संपत्ति एग्रीकल्चरल लैंड के रूप में थी. साल 2022 में उनके आस 68 लाख की एग्रीकल्चरल लैंड हो गयी. 2022 तक अजय भट्ट की कुल संपत्ति की कीमत 4 करोड़ 87 हजार हो गयी.
भाजपा नेता अनिल बलूनी साफ़ छवि के लिये जाने जाते हैं. 2018 में राज्य सभा सांसद चुने जाते समय उनकी कुल सम्पति करीब 2 करोड़ 62 लाख थी जो 2024 में 3 करोड़ 74 लाख हो गयी. बलूनी के पास कोई एग्रीकल्चरल लैंड नहीं है.
अब बात केन्द्रीय मंत्री अजय टम्टा की. अजय टम्टा 2007 की विधानसभा के सदस्य थे. लम्बे राजनैतिक जीवन और लगातार महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बावजूद अजय टम्टा संपत्ति बटोर ने के मामले में अन्य नेताओं से पीछे ही रहे हैं. साल 2007 में उनके पास कुल 2 लाख 25 हजार की संपत्ति थी और देनदारी 14 लाख के आस-पास की. 2024 में वह करीब 1 करोड़ 23 लाख की संपत्ति के मालिक हैं जिसमें करीब 19 लाख की देनदारी है.
रही बात माला राज्य लक्ष्मी शाह की तो उनके पास इतनी संपत्ति है जितनी इन चारों की मिलाकर भी न होगी. अगर किसी परिस्थिति में चारों अपनी संपत्ति मिला भी लें तो वह माला राज्य लक्ष्मी शाह की संम्पत्ति से 20 गुना कम ही रहेगी. 2012 में विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी कुल संपत्ति 152 करोड़ थी जो 2024 में 206 करोड़ हो गयी.
यह रिपोर्ट कोई खुलासा नहीं है. सबकुछ पब्लिक डोमेन में रखा हुआ है. रही बात केवल इन पाँचों भाजपा नेताओं की सम्पत्ति क्यों बताई जा रही है तो यही पाँचों देश की संसद में हमारे उत्तराखंड का नेतृत्व करते हैं.
रही बात लखपति से करोड़पति बनने की रेसिपी बताने की तो उस पर फिलहाल शोध चल रहा है. हम उत्तराखंड के नेताओं के सीधे सम्पर्क में हैं जल्द ही वह रेसिपी भी बतायेंगे जिससे करोड़पति बनते हैं.
चलते-चलते यह भी जान लीजिये कि साल 2007 में जब उत्तराखंड विधानसभा बनी तो उसमें 10 करोड़पति थे. 2022 में गठित उत्तराखंड विधानसभा में करोड़पतियों की संख्या 58 हो गयी. एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछले 5 सालों में केवल 17,743 अभ्यर्थियों को ही रोजगार मिला है. उत्तराखंड में इस वक्त 8 लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार हैं. करोड़पति नेताओं और बेरोजगार युवाओं के आंकड़े देखकर जीनत अमान और मनोज कुमार पर फिल्माया गया यह गीत ख़ूब फिट बैठता है – तेरी दो टकिया दी नौकरी में मेरा लाखों का सावन जाये…
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