Homeदेशबायो फोर्टिफाइड अनाज की बढ़ती मांग

बायो फोर्टिफाइड अनाज की बढ़ती मांग

इन दिनों चावल, गेहूं और अन्य पारंपरिक खाद्य पदार्थों में कुछ पोषक तत्वों की कमी देखी जा रही है. इसके परिणामस्वरूप, पर्याप्त भोजन करने के बावजूद हमारे शरीर में आवश्यक पोषक तत्व जैसे विटामिन और प्रोटीन की कमी हो जाती है. इस समस्या का समाधान करने के लिए जैव प्रबलीकरण (बायो फोर्टिफिकेशन) तकनीकों का उपयोग कर खाद्य फसलों को अधिक पोषणयुक्त बनाया जा रहा है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अब तक सौ से अधिक फसलों की बायोफोर्टिफाइड किस्में जारी कर चुका है.

जैव प्रबलीकरण के अंतर्गत खाद्य पदार्थों में बाहरी रूप से पोषक तत्वों को मिलाकर उन्हें अधिक पोषक तत्वों से भरपूर बनाया जाता है. भारतीय खाद्य नियामक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने चावल, गेहूं के आटे, दूध, तेल और नमक के फोर्टिफिकेशन को मंजूरी दे दी है.

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से फोर्टिफाइड खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है, जिससे कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को आसान बनाया गया है. फोर्टिफाइड गेहूं के आटे में फोलिक एसिड, आयरन और विटामिन बी-12 की पर्याप्त मात्रा होती है, जो एनीमिया जैसी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में मदद करती है.

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है, ऐसे में चावल के फोर्टिफिकेशन से देश के बड़े हिस्से को पोषणयुक्त आहार प्रदान किया जा सकता है. आयोडीन और आयरन की कमी को दूर करने में आयोडीन युक्त फोर्टिफाइड नमक की महत्वपूर्ण भूमिका है. देश में हर साल 90 लाख गर्भवती महिलाएं और 80 लाख नवजात बच्चे आयोडीन की कमी के खतरे में होते हैं.

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