अल्मोड़ा : विकास कार्यों के चलते मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि देखी गई है. अकेले उत्तराखंड में ही पिछले एक साल के दौरान 700 घटनाएं दर्ज की गई हैं. यह जानकारी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने शुक्रवार को जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान साझा की.
जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केंद्र द्वारा सूर्यकुंज में वन्यजीव सप्ताह के अवसर पर ‘मस्तिष्क मंथन’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने बताया कि वन्यजीव संरक्षण के लिए हर साल वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष का मुख्य विषय “सह-अस्तित्व के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण” है. प्रो. नौटियाल ने यह भी बताया कि 2022-23 में उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष की 700 घटनाएं दर्ज हुईं, जो चिंता का विषय है.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भुवन नौटियाल ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रहे विकास कार्यों से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों पर अतिक्रमण हुआ है, जिसके कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. रानीखेत के रेंज ऑफिसर तपस मिश्रा ने पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते संघर्ष के कारणों और उनके समाधान पर चर्चा की.
जैव विविधता केंद्र के प्रमुख, डॉ. आई.डी. भट्ट ने बताया कि कार्यक्रम के तहत मस्तिष्क मंथन, बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य में भ्रमण और डेटा संग्रहण, फोटोग्राफी प्रतियोगिता जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी. इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉ. आशीष पांडे, डॉ. एस.सी. आर्या, डॉ. के.एस. कनवाल, डॉ. सुबोध ऐरी आदि मौजूद थे.
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