Homeउत्तराखण्डचारधाम यात्रा: पर्यावरण और सुरक्षा पर बढ़ती चिंता

चारधाम यात्रा: पर्यावरण और सुरक्षा पर बढ़ती चिंता

हर साल उत्तराखंड में होने वाली चारधाम यात्रा देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचती है. इस साल भी यात्रा 30 अप्रैल से शुरू होने वाली है और अब तक 10 लाख से ज्यादा लोग इसके लिए रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. पिछले साल 46.1 लाख श्रद्धालुओं ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन किए थे लेकिन इस बढ़ती भीड़ के साथ-साथ पर्यावरण और सुरक्षा को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं. इसे देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तराखंड सरकार को सख्त कदम उठाने के लिए कहा है.
(NGT carrying capacity Chardham yatra)

एनजीटी ने हाल ही में 18 मार्च को एक आदेश जारी किया, जो अब जाकर लोगों के सामने आया. इसमें उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी को 24 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने या वर्चुअल तरीके से हाजिर होने को कहा गया है. ट्रिब्यूनल यह जानना चाहता है कि चारधाम यात्रा की “कैरिंग कैपेसिटी” (क्षमता) और रास्तों पर कचरे व घोड़ों-खच्चरों के गोबर के निपटारे को लेकर पहले दिए गए आदेशों का पालन कितना हुआ. पिछले कुछ सालों से इन इलाकों में बेकाबू भीड़ और गंदगी की समस्या बार-बार उठ रही है.

एनजीटी का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, जिसमें श्रद्धालुओं की जान को खतरा हो सकता है. इसके लिए किसी न किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी.

क्या है कैरिंग कैपेसिटी?

कैरिंग कैपेसिटी का मतलब है कि कोई जगह कितने लोगों, गाड़ियों या जानवरों को एक साथ झेल सकती है, ताकि वहां का पर्यावरण और संसाधन खराब न हों. चारधाम जैसे पहाड़ी इलाकों में यह और भी जरूरी हो जाता है, क्योंकि ये जगहें नाजुक हैं. ज्यादा भीड़ होने से सड़कें टूटती हैं, कचरा बढ़ता है और पानी-साफ हवा जैसी चीजों पर दबाव पड़ता है. साथ ही, घोड़ों और खच्चरों का इस्तेमाल भी बहुत होता है, जिनके गोबर से रास्ते गंदे हो जाते हैं.
(NGT carrying capacity Chardham yatra)

एनजीटी ने इस समस्या को देखते हुए पहले भी कई बार सरकार को चेतावनी दी थी. 2022 में सरकार ने एक सर्कुलर निकाला था, जिसमें यात्रियों की संख्या पर कुछ रोक लगाई गई थी. लेकिन अप्रैल 2023 में इसे हटा लिया गया और उसके बाद कोई नया नियम नहीं बनाया गया. जनवरी में उत्तराखंड के एक अफसर ने बताया कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) को अगस्त 2024 में इलाके की कैरिंग कैपेसिटी जांचने का काम सौंपा गया था. लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि यह स्टडी कब तक पूरी होगी. इसके लिए कई विभागों को साथ मिलकर काम करना होगा, इसलिए एनजीटी ने चीफ सेक्रेटरी को खुद जवाब देने को कहा है.

नवंबर 2023 में एनजीटी ने कहा था कि अगर कैरिंग कैपेसिटी से ज्यादा लोग आए तो हादसे हो सकते हैं. इसके बाद सरकार से एक रिपोर्ट मांगी गई थी. फरवरी 2023 में एक कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया गया कि प्रशासन में कई खामियां हैं और फौरन कदम उठाने की जरूरत है. इस कमेटी में चीफ सेक्रेटरी, पुलिस महानिदेशक, जिला मजिस्ट्रेट और पर्यावरण से जुड़े बड़े अफसर शामिल थे. कमेटी ने सुझाव दिया था कि गाड़ियों, यात्रियों और खच्चरों की संख्या पर रोक लगे, ताकि इलाके की नाजुक हालत को बचाया जा सके.

एनजीटी ने अब अगली सुनवाई 24 अप्रैल को तय की है, जो यात्रा शुरू होने से ठीक पांच दिन पहले है. इस बार कोर्ट सख्ती से देखना चाहता है कि सरकार ने पुराने आदेशों पर कितना अमल किया. अगर हालात नहीं सुधरे तो शायद कोई बड़ा फैसला लिया जाए. यात्रा के शौकीनों के लिए यह जरूरी है कि वे भी अपनी जिम्मेदारी समझें. कचरा न फैलाएं, नियमों का पालन करें, ताकि ये पवित्र जगहें आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बची रहें.

चारधाम यात्रा सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ने का मौका भी है. लेकिन अगर हमने इसकी सेहत का ध्यान नहीं रखा तो शायद भविष्य में ये खूबसूरती और शांति खत्म हो जाए. अब देखना यह है कि सरकार और लोग मिलकर इसे बचाने के लिए क्या कदम उठाते हैं.
(NGT carrying capacity Chardham yatra)

काफल ट्री लाइव डेस्क