प्रश्न काल, शून्य काल भारतीय संसद से जुड़ी शब्दावली के शब्द हैं. देशभर के सांसद अपने स्थानीय मुद्दों पर सरकार से इस समय सवाल पूछते हैं, महत्वपूर्ण विषय के मुद्दे उठाते हैं और अपने लोगों की आवाज बनते हैं. देश के सभी मतदाताओं की तरह पहाड़ के मतदाता भी चाहते हैं कि उनके सांसद देश की संसद में उनकी आवाज बनें और उनके मुद्दे संसद में उठायें. उनसे उम्मीद रहती है कि वह जनता से जुड़े मुद्दों पर बोलेंगे.
उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील इलाका है. भूस्खलन, बदल फटना आदि ऐसे कुछ मुद्दे हैं जो राज्य की जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं. फिर जोशीमठ का मुद्दा हो या चारधाम का मुद्दा जनता अपने सांसदों से उम्मीद रखती है कि दिल्ली में बन रही योजनाओं में उनकी आवाज बनें. मानसून सत्र में उत्तराखंड के सांसदों से भी यही उम्मीद थी लेकिन राज्य से चुने गये किसी भी सांसद द्वारा उठाया गया कोई मुद्दा राष्ट्रीय पटल पर चर्चा का विषय नहीं बना.
झारखंड और महाराष्ट्र से चुनकर आये सांसदों द्वारा जब उत्तराखंड के लोगों की समस्या को संसद में उठाया तो यह स्वतः चर्चा का विषय बन गया. जोशीमठ की बात हो या चारधाम सड़क योजना के इको सेंसेटिव ज़ोन में विस्तार होने की बाद दोनों ही बात राज्य के बाहर के सांसदों ने उठाई.
केन्द्रीय मंत्री नितिन गढ़करी ने झारखंड से राज्य सभा सदस्य रंजीता रंजन द्वारा उठाये गये प्रश्न का उत्तर भी दिया और बताया चारधाम सड़क योजना अब अपने अंतिम पड़ाव पर है और आखिरी 150 किमी का काम होना बचा है. यह इलाका इको सेंसेटिव जोन है. सड़क को चीन से लगे सीमा क्षेत्र तक तक ले जाना है. महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने भी संसद में उत्तराखंड से जुड़ा मुद्दा उठाया. जोशीमठ पर सवाल करते हुए इमरान प्रतापगढ़ी ने लगातार दरकते जोशीमठ पर सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम पूछे.