उत्तराखंड भाजपा सरकार में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के बेटे सुयश रावत का नाम टिहरी झील में क्रूज बोट चलाने के लिये आवेदन करने की वजह से सुर्ख़ियों में आ रहा है. बीते जून माह में टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण कार्यालय ने टिहरी झील में क्रूज और याट बोट संचालन के लिए आवेदन मांगे थे. शुरुआत में इसके आवेदन की तिथि 26 जुलाई तक थी लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 17 अगस्त कर दिया गया था.
(Satpal Maharaj son Controversy)

अब टेंडर जारी करने की प्रक्रिया के अगले चरण के लिये सुयश रावत के आवेदन को भी छांटा गया है. इस मामले में स्थानीय लोगों का कहना है कि टिहरी झील में होने वाले कार्यों में स्थानीय लोगों को वरीयता देने का वादा किया गया था. लेकिन सुयश रावत पौड़ी के मूल निवासी हैं उन्हें वरीयता नहीं मिलनी चाहिए थी. कुछ खबरों के अनुसार सुयश रावत के फायदे के लिये ही तारीख को बढ़ाया गया था, जबकि आधिकारिक तौर पर बताया गया था कि आपदा के कारण तिथि बढ़ाई गई है.
(Satpal Maharaj son Controversy)
आदेश के अनुसार टेंडर के अगले चरण के लिये कुल 6 आवेदकों को बुलाया गया है जिनमें से 3 ही का पता टिहरी का है, बाकी 3 देहरादून के आवेदक हैं.
सतपाल महाराज उत्तराखंड के एक कद्दावर नेता हैं. इनकी ख्याति आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी है. सतपाल महाराज भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के भी सदस्य है और वर्तमान में उत्तराखंड सरकार में पर्यटन, सांस्कृतिक और सिंचाई मंत्री है. सतपाल महाराज के पिता हंस जी महाराज भी एक जाने माने आध्यात्मिक गुरु थे. अभी उनके दोनों भाई भोले जी महाराज और प्रेम रावत, भी आध्यात्मिक गुरु हैं.
कांग्रेस का विरोध
सुयश रावत को टेंडर देने के बारे में में कांग्रेस प्रवक्ता सुजाता पॉल ने सवाल उठाया कि, मंत्री के बेटे के आवेदन को सफल कैसे माना गया? क्या यह कंफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट नहीं है? क्या यह परिवारवाद नहीं है? पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज इसका जवाब दें.
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