देहरादून स्थित एक प्रतिष्ठित स्कूल, जो अब तक केवल लड़कों के लिए आरक्षित था, उसमें लड़कियों को प्रवेश देने की योजना पर शुरू हुआ विवाद अब सुर्खियों में है। यह विरोध स्कूल के पूर्व छात्रों की ओर से सामने आया, जिन्होंने इस फैसले को संस्थान की परंपरा और ‘डीएनए’ के खिलाफ बताया है।
मामला इंडियन पब्लिक स्कूल का है
मामला इंडियन पब्लिक स्कूल (IPS) का है, जिसे 1935 में स्थापित किया गया था और जो देश के सबसे पुराने और नामी स्कूलों में से एक माना जाता है। स्कूल के हेडमास्टर डॉ. जगदीप सिंह ने 17 मार्च 2025 को गवर्निंग बॉडी (IPS सोसाइटी) के सामने एक चार पेज का मेमो प्रस्तुत किया था, जिसमें स्कूल को को-एजुकेशन मॉडल यानी लड़के-लड़कियों के संयुक्त शिक्षण की ओर ले जाने का प्रस्ताव था। लेकिन इस प्रस्ताव के सामने आते ही पूर्व छात्रों में नाराजगी फैल गई। उन्होंने सोशल मीडिया और स्कूल प्रशासन के समक्ष इस योजना का कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि इससे स्कूल की सांस्कृतिक पहचान और मूल संरचना पर असर पड़ेगा। कुछ विरोधियों ने यहां तक कहा कि इससे स्कूल का “डीएनए बिगड़ जाएगा।”
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मेमो में यह उल्लेख था कि देश के कई पारंपरिक स्कूल अब को-एजुकेशन को अपना रहे हैं और IPS को भी इस विकल्प पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। हालांकि, इस विचार को निर्णय नहीं, बल्कि संभावना के रूप में प्रस्तुत किया गया था। विवाद बढ़ने के बाद स्कूल प्रशासन ने सफाई दी कि हेडमास्टर का मेमो कोई आधिकारिक घोषणा नहीं थी। यह महज एक विचार-विमर्श का दस्तावेज था। IPS गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन अनूप सिंह बिश्नोई ने भी 7 अप्रैल को स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि स्कूल में को-एड शुरू करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
फिलहाल, स्कूल ने स्थिति को संभालते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पूर्व छात्रों की भावनाओं का सम्मान करते हुए किसी भी बदलाव से पहले व्यापक चर्चा की जाएगी।