नई दिल्ली: जल्द ही अमेरिकी डॉलर, यूरो और पाउंड में भी आरटीजीएस की सुविधा उपलब्ध हो सकती है. आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम) बैंकों के बीच वास्तविक समय में फंड ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसका संचालन भारतीय रिजर्व बैंक करता है.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्रीय बैंक आरटीजीएस का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रहा है. यह विस्तार द्विपक्षीय या बहुपक्षीय व्यवस्थाओं के जरिए किया जाएगा.
दास के अनुसार, प्रमुख व्यापारिक मुद्राओं को आरटीजीएस में शामिल करने से सीमा पार भुगतान और प्रेषण की प्रक्रिया अधिक किफायती और तेज़ हो जाएगी. यह विस्तार अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए उपयोग होने वाली प्रमुख मुद्राओं के साथ लेनदेन को सरल बनाएगा.
उन्होंने यह भी कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) कुशल सीमा पार भुगतान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. आने वाले समय में मानकों में सामंजस्य स्थापित करने से CBDC सीमा पार भुगतान और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी वित्तीय स्थिरता चिंताओं को दूर करने में सक्षम होगा.
आरटीजीएस के फायदे: आरटीजीएस एक ऑनलाइन प्रणाली है जो भारत में सबसे तेज़ और सुरक्षित पैसे ट्रांसफर करने का माध्यम है. इसके जरिए दो लाख से अधिक राशि को तुरंत और सुरक्षित रूप से एक बैंक से दूसरे बैंक में भेजा जा सकता है, और इसमें कोई ऊपरी सीमा नहीं है. यह प्रणाली धोखाधड़ी या चोरी के जोखिम को भी कम करती है और 30 मिनट के भीतर पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देती है, बशर्ते लाभार्थी का खाता सक्रिय हो.
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