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उत्तराखंड में खनन विवाद : रावत बनाम उत्तराखंड सरकार

उत्तराखंड की सियासत में इन दिनों एक नया विवाद चर्चा का केंद्र बना हुआ है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी ही पार्टी की राज्य सरकार पर अवैध खनन को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. इस बयान ने न सिर्फ सत्तारूढ़ दल के भीतर हलचल मचा दी है, बल्कि विपक्ष को भी सरकार पर हमला बोलने का मौका दे दिया है. रावत का दावा है कि उनके पास अपने आरोपों को साबित करने के लिए पुख्ता सबूत हैं, जबकि राज्य सरकार और खनन विभाग ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. इस पूरे मामले ने राजनीति और नौकरशाही के बीच भी तनाव पैदा कर दिया है. आइए इस विवाद की पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं.
(Trivendra Singh Rawat vs uttarakhand government)

लोकसभा में उठा अवैध खनन का मुद्दा

20 मार्च 2025 को लोकसभा में बोलते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में अवैध खनन की समस्या को जोरदार तरीके से उठाया. उन्होंने कहा कि हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधम सिंह नगर जैसे जिलों में रात के अंधेरे में अवैध खनन से भरे ट्रक खुलेआम चल रहे हैं. रावत के मुताबिक, ये ट्रक न सिर्फ ओवरलोड होते हैं, बल्कि बिना किसी वैध परमिट के खनिजों का परिवहन करते हैं. इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, साथ ही राज्य की सड़कों, पुलों और बुनियादी ढांचे को भी क्षति पहुंच रही है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यह स्थिति लोगों के आवागमन को खतरनाक बना रही है और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रही है. रावत ने राज्य सरकार और प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके निर्देशों के बावजूद खनन माफिया पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है.

सरकार का जवाब: आरोपों को बताया झूठा

रावत के बयान के कुछ ही घंटों बाद राज्य के खनन सचिव बृजेश कुमार संत ने एक वीडियो जारी कर इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. संत ने कहा कि अवैध खनन बढ़ने का दावा पूरी तरह निराधार और झूठा है. उन्होंने खनन विभाग के आंकड़े पेश करते हुए बताया कि राज्य में खनन से होने वाला राजस्व पिछले साल की तुलना में सवा गुना बढ़ा है. संत के अनुसार, राज्य गठन के बाद पहली बार खनन से इतना बड़ा राजस्व हासिल हुआ है. न सिर्फ राजस्व लक्ष्य पूरा हुआ, बल्कि उससे अधिक अधिशेष भी प्राप्त हुआ. उन्होंने इसे खनन विभाग की बड़ी उपलब्धि करार देते हुए दावा किया कि अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया गया है.

रावत की टिप्पणी से नया विवाद

खनन सचिव के खंडन के बाद यह मामला और गहरा गया. 21 मार्च को दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में एक पत्रकार ने रावत से खनन सचिव के बयान पर टिप्पणी मांगी. इस पर रावत ने कहा, “शेर कुत्तों का शिकार नहीं करता.” उनकी यह टिप्पणी उत्तराखंड आईएएस एसोसिएशन को नागवार गुजरी. एसोसिएशन ने इसे नौकरशाहों के खिलाफ अपमानजनक बताया और इसकी कड़ी निंदा की. बाद में रावत ने सफाई दी कि उनकी यह टिप्पणी किसी खास व्यक्ति के लिए नहीं थी और इसका कोई जातिवादी संदर्भ नहीं था. उन्होंने कहा कि जब वह यह बात कह रहे थे, तो उनके दिमाग में कुछ और संदर्भ था. हालांकि, उनकी यह सफाई विवाद को शांत करने में नाकाम रही.
(Trivendra Singh Rawat vs uttarakhand government)

रावत की टिप्पणी के बाद उत्तराखंड आईएएस एसोसिएशन ने रविवार को बैठक बुलाई और एक प्रस्ताव पारित किया. एसोसिएशन ने कहा कि उनके सदस्यों को भी आम नागरिकों की तरह स्वाभिमान और गरिमा का अधिकार है. किसी भी व्यक्ति, अधिकारी या संगठन को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो नौकरशाहों और उनके परिवारों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाए. एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि ऐसी टिप्पणियां अधिकारियों का मनोबल तोड़ती हैं और उनके कामकाज पर प्रतिकूल असर डालती हैं. साथ ही, यह भी कहा कि वह रचनात्मक आलोचना का स्वागत करता है, लेकिन नीतियों में कमी होने पर उसे सुधारने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए. इस मुद्दे पर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपने का फैसला किया.
(Trivendra Singh Rawat vs uttarakhand government)

रावत का पक्ष: सबूतों का दावा

सोमवार को हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में रावत ने अपने बयान का बचाव किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने जिम्मेदारी के साथ यह मुद्दा उठाया है और उनके पास इसे साबित करने के लिए ठोस सबूत हैं. रावत ने बताया कि उन्होंने यह बात नुक्कड़ सभाओं में नहीं, बल्कि लोकसभा में नियमों के तहत कही. उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे को उठाने के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है, सिवाय कुछ “प्लांटेड टिप्पणियों” के. जब उनसे पूछा गया कि उनकी ही पार्टी के नेताओं ने उनके दावों को खारिज किया है, तो रावत ने कहा कि पार्टी लाइन अलग हो सकती है, लेकिन एक सांसद के तौर पर उनकी जिम्मेदारी है कि वह लोगों की समस्याओं को उठाएं.

विपक्ष का हमला

इस विवाद में विपक्ष ने भी मौके का फायदा उठाया. उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को रावत के गंभीर आरोपों का जवाब देना चाहिए. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर भाजपा के ही वरिष्ठ नेता अपनी सरकार पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि राज्य में कुछ तो गड़बड़ चल रही है.

त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह बयान उत्तराखंड की सियासत में भूचाल ला चुका है. उनके आरोपों ने अवैध खनन जैसे संवेदनशील मुद्दे को सामने लाया है, लेकिन सरकार और नौकरशाही ने इसे सिरे से नकार दिया है. रावत के पास सबूत होने का दावा इस मामले को और रोचक बनाता है.
(Trivendra Singh Rawat vs uttarakhand government)

अब सवाल यह है कि क्या रावत अपने दावों को साबित कर पाएंगे? या यह विवाद सिर्फ सियासी बयानबाजी बनकर रह जाएगा? यह मामला न केवल भाजपा की एकता को परख रहा है, बल्कि राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहा है. आने वाले दिन इसकी सच्चाई को सामने लाएंगे.

काफल ट्री लाइव डेस्क