2018 के आस-पास, दक्षिण अफ्रीका के मीडिया में, एक शब्द चला ज़ुप्ता स्कैम. ‘ज़ुप्ता’ शब्द, गुप्ता परिवार, और वहां के राष्ट्रपति जैकब जुमा, के बीच की नजदीकी दिखाने को इस्तेमाल हुआ. इससे पहले दक्षिण अफ्रीकी मीडिया में एक और शब्द चला था ‘गुप्तागेट’. मामला गुप्ता परिवार की एक बेटी की शादी का था. जब एक निजी जेट विमान, दक्षिण अफ़्रीकी मिलिट्री एयरफ़ोर्स बेस पर, शादी में शामिल भारतीय मेहमानों को लेकर उतरा था.
(Uttarakhand government Conspiracy)
कभी दक्षिण अफ्रीका के अखबारों की सुर्खियों में रहने वाले, इन गुप्ता बंधुओं का नाम अब उत्तराखंड की सियासत से भी जुड़ चुका है. यह नाम अब उत्तराखंड की विधानसभा में गूंज रहा है. ऐसा नहीं है कि गुप्ता बंधुओं का नाम पहली बार ख़बरों का हिस्सा बना है. कभी 200 करोड़ की शादी, तो कभी केदारनाथ और बद्रीनाथ में सोने का चढ़ावा. कभी जैड प्लस सुरक्षा तो कभी एविएशन कंपनी में हिस्सेदारी.
दक्षिण अफ्रीका में सरकार गिराने के आरोपी गुप्ता बंधुओं पर उत्तराखंड में सरकार गिराने की साज़िश रचने के आरोप हैं. जिस समय दक्षिण अफ्रीका में गुप्तागेट और ज़ुप्ता स्कैम जैसे शब्द चल रहे थे उन दिनों
उत्तराखंड में गुप्ता ब्रदर्स की वाई कैटगरी की सुरक्षा को ज़ेड किया जा रहा था. दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रपति को अपनी जेब में रखकर चलने वाले गुप्ता ब्रदर्स का, उस समय की उत्तराखंड सरकार पर कितना प्रभाव था एक घटना से समझते हैं.
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वेडिंग डेस्टिनेशन का एक शगूफ़ा सरकार ने छोड़ा. गुप्ता परिवार के बेटों की शादी को, उत्तराखंड सरकार ने घर की शादी की तरह निभाया. बदले में उत्तराखंड को मिला तीन सौ इकानबे टन कचरा. सारे नियमों को ताक में रखकर, ईको-सेंसेटिव ज़ोन में कराई गयी, इस शादी से स्पष्ट है कि राज्य सरकार पर गुप्ता परिवार का कितना प्रभाव रहा होगा.
चाहे पांच सौ करोड़ रूपये खर्च करने पड़ें, हम सरकार गिराकर रहेंगे – यह बात उत्तराखंड विधानसभा के इस मानसून सत्र में कही गयी है. क्या विधानसभा में कोई भी विधायक बिना तथ्य के कुछ भी बोल सकता है? खानपुर सीट से विधायक उमेश कुमार ने आरोप लगाया है कि गुप्ता बंधुओं को यहां के, यानी उत्तराखंड के तत्कालीन तीन मुख्यमंत्रियों ने वाई और जेड कैटेगरी सुरक्षा दी और हेली कंपनी जैसे व्यापार सौंप दिये.
विधायक उमेश कुमार के विधानसभा में दिये गये भाषण को सच मानें, तो कहा जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के जैकब जुमा थे. और दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े घोटाले के आरोपी उत्तराखंड में तख्ता पलट की फ़िराक में हैं. इसके साथ यह भी समझा जाना चाहिये कि सरकार गिराने वाले आरोप को हवा क्यों मिल रही है.
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उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने से कुछ समय पहले यह ख़बर चलने लगी कि राज्य में मुख्यमंत्री बदल सकते हैं. उस समय उत्तराखंड के भाजपा नेताओं के अचानक हुए दिल्ली दौरों से भी कयास लगाये जाने लगे कि कहीं कुछ ठीक नहीं है.
ठीक इस घटना के बाद, उमेश कुमार का सरकार गिराने के लिये पांच सौ करोड़ की व्यवस्था किये जाने की बात कहना, सिर्फ एक संयोग भी हो सकता है. खानपुर विधायक उमेश कुमार के विधानसभा में दिये गये इस बयान के बाद सबसे तीखी प्रतिक्रिया भारतीय जनता पार्टी के दो बड़े नेताओं की आई… रमेश पोखरियाल निशंक और त्रिवेंद्र सिंह रावत…
दोनों उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. दोनों ने ही इसकी जांच कराये जाने की बात भी कही है, और विधायक उमेश कुमार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किये हैं. पलटवार करते हुए विधायक उमेश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर गुप्ता बंधुओं को फ़ायदा पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगाये हैं.
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आरोप के अनुसार उत्तराखंड में हवाई सेवा देने वाली, हेरिटेज एविएशन कम्पनी गुप्ता बंधुओं की है. यह वही कम्पनी है जिस पर आरोप है कि उसके एक विमान का दरवाजा हवा में खुल गया था. यह घटना 2019 की है जब पन्तनगर से पिथौरागढ़ जा रहे विमान की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी. जिसके बाद डीजीसीए ने कई महीनों तक दोनों शहरों के बीच हवाई सेवा निलम्बित कर दी. वर्तमान में उत्तराखंड में चल रही अधिकांश हवाई सेवाएं इसी कम्पनी द्वारा चलाई जा रही हैं.
बहरहाल, इस पूरे घटनाक्रम में जनता से जुड़े कुछ सवाल हैं जो कहीं पीछे छूट जाते हैं – क्या उत्तराखंड के लोगों के साथ धोखा हुआ? क्या नेताओं ने सच में हमारे पहाड़ का जमीन, जंगल पानी सब बेच दिया है? क्या उत्तराखंड वाकई सही हाथों में हैं?