देहरादून: उत्तराखंड का ‘वेस्ट टू वेंडर्स’ मॉडल देशभर में सराहना बटोर रहा है. इस मॉडल को अपनाने के बाद नगर पालिका परिषद जोशीमठ ने अपने मैटीरियल रिकवरी सेंटर में प्लास्टिक वेस्ट से अब तक एक करोड़ रुपये की कमाई की है. यहां प्लास्टिक कचरे की 35 श्रेणियों में छंटाई के बाद उसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिली है.
उत्तराखंड में इसी तरह के 10 अभिनव प्रयोगों को देशभर के 75 अभिनव प्रयासों में शामिल किया गया है. केंद्र सरकार के शहरी कार्य मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन के 10 वर्ष पूरे होने के अवसर पर उत्तराखंड में स्वच्छता के क्षेत्र में किए जा रहे 10 अभिनव प्रयासों को अपनी बुकलेट में जगह दी है.
इसमें नगर पालिका बागेश्वर में महिला समूह से जुड़ी 45 महिलाओं के कचरा संग्रहण के अभिनव प्रयास को भी शामिल किया गया है. इसके अतिरिक्त, हल्द्वानी नगर निगम में बैणी सेना को भी मान्यता दी गई है, जहां महिलाएं अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कार्य कर रही हैं और इसे राष्ट्रीय स्तर पर सफल मॉडल माना गया है.
रुद्रपुर में 30 साल पुराने पहाड़गंज का कायाकल्प कर ट्रंचिंग ग्राउंड को एक सुंदर स्थान में परिवर्तित किया गया है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण में कमी आई है और लोगों को ट्रैफिक की समस्या से निजात मिली है.
केदारनाथ में निजी सहभागिता से डिजिटल रिफंड सिस्टम के माध्यम से प्लास्टिक कचरे के निस्तारण, हरिद्वार में स्मार्ट टॉयलेट सुविधा, नगर पंचायत कीर्तिनगर में स्थापित ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण और निपटान सुविधा केंद्र, और नगर पंचायत गंगोत्री में गीले कचरे से खाद तैयार करने के अभिनव प्रयोग को भी इस सूची में शामिल किया गया है.
नगर पंचायत नौगांव में मैटीरियल रिकवरी सेंटर के माध्यम से कचरा प्रबंधन और नगर निगम देहरादून में नत्थुवाला वार्ड में 2019 में स्थापित सैनिटेशन पार्क को भी मान्यता दी गई है.
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