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बच्चों के बचपन को कम कर रहा है रील्स देखने का प्रचलन : एम्स के सुझाव

मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बच्चों के बचपन को प्रभावित कर रहा है. माता-पिता बच्चों को शांत रखने के लिए उन्हें मोबाइल दे देते हैं, जिससे बच्चे दूध पीते या खाना खाते समय भी मोबाइल पर ध्यान लगाते हैं. अब यह आदत उनके लिए समस्याएं पैदा कर रही है. गेम्स और रील्स के कारण बच्चे चिड़चिड़े और गुस्से वाले हो रहे हैं.

एम्स, भोपाल की साइकेट्रिक ओपीडी में रोजाना कम से कम एक दर्जन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां माता-पिता मोबाइल की लत से परेशान हैं. लगभग 2000 बच्चे, जिनकी उम्र 2 से 3.5 साल है, इलाज के लिए आ चुके हैं. इन बच्चों की स्क्रीन टाइम औसतन 4 से 8 घंटे तक रहती है और वे खिलौनों की जगह मोबाइल की आदत लगा चुके हैं.

कामकाजी युगलों को सलाह दी जाती है कि वे 2 साल से छोटे बच्चों को मोबाइल की बजाय खिलौने दें और परिवार के अन्य सदस्य उनकी देखभाल करें. बच्चों के सामने खुद भी मोबाइल का उपयोग कम करें.

साइकेट्रिक ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले बच्चों में देर से बोलने, सामाजिक और भावनात्मक विकास में कमी, खानपान की समस्याएं, मोटापा, सोने में कठिनाई, फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO), गुस्सा, चिड़चिड़ापन, और ध्यान की कमी जैसी समस्याएं आम देखी जा रही हैं.

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