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पश्चिम एशिया में तनाव से कच्चे तेल और इलेक्ट्रॉनिक्स व्यापार पर असर की आशंका

नई दिल्ली: निर्यातकों का कहना है कि पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष से पहले से ही ऊंची लॉजिस्टिक्स लागत और बढ़ सकती है, जिससे कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि जैसे क्षेत्रों में व्यापार प्रभावित हो सकता है. युद्ध में शामिल देशों को निर्यात के लिए बीमा लागत भी बढ़ सकती है, जिससे भारतीय निर्यातकों की कार्यशील पूंजी पर असर पड़ने की संभावना है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बताया कि संघर्ष का प्रभाव पहले ही इज़राइल, जॉर्डन और लेबनान जैसे देशों के साथ भारत के व्यापार पर पड़ रहा है.

निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने कहा कि ईरान-इज़राइल संघर्ष के चलते वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है.

फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने बताया कि ईरान तेल बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी है, और संघर्ष की बढ़ोतरी तेल की आपूर्ति को बाधित कर सकती है, जिससे कीमतें बढ़ेंगी और वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं, खासकर तेल आयात पर निर्भर देश, प्रभावित होंगे. तेल की कीमतें पहले ही चार डॉलर प्रति बैरल बढ़ चुकी हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस संघर्ष से पश्चिम एशिया में अस्थिरता बढ़ सकती है, जिससे होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों पर प्रभाव पड़ सकता है, जहां से दुनिया के कच्चे तेल का एक बड़ा हिस्सा गुजरता है.

सहाय ने आगे कहा कि इस तरह के व्यवधानों से शिपिंग लागत और देरी में वृद्धि हो सकती है. कई वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं पश्चिम एशिया की स्थिरता पर निर्भर हैं, और यह संघर्ष इन आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकता है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि जैसे उद्योग प्रभावित हो सकते हैं. यदि पश्चिमी देश प्रतिबंध या व्यापार प्रतिबंध लगाते हैं, तो इससे वैश्विक व्यापार की जटिलताएं और बढ़ जाएंगी.

हैंड टूल एसोसिएशन के चेयरमैन एस. सी. रल्हन ने बताया कि इन देशों को दिए गए ऑर्डर रुक सकते हैं, और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में व्यापार करना जोखिम भरा और मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि बीमा लागत बढ़ जाएगी, या हो सकता है कि इस क्षेत्र में बीमा सुरक्षा न मिले. जनवरी-जुलाई 2024 के दौरान संघर्ष से सीधे प्रभावित देशों के साथ भारत के व्यापार में महत्वपूर्ण चुनौतियां सामने आई हैं.

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इज़राइल के साथ भारत के निर्यात में 63.5 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसका प्रभाव जॉर्डन में 38.5 प्रतिशत की गिरावट और लेबनान में 6.8 प्रतिशत की कमी के रूप में देखा गया. अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ इज़राइल-हमास संघर्ष अब लेबनान, सीरिया तक फैल गया है और अप्रत्यक्ष रूप से जॉर्डन और ईरान पर भी प्रभाव डाल रहा है.

वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल-जुलाई के दौरान भारत से इज़राइल को 63.9 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ, जबकि पूरे वित्त वर्ष में यह 4.52 अरब डॉलर का था. इसी अवधि में इज़राइल से आयात 46 करोड़ 94.4 लाख डॉलर का हुआ, जबकि वर्ष 2023-24 में यह कुल 2 अरब डॉलर का था.

इसी प्रकार, अप्रैल-जुलाई 2024 के दौरान ईरान को भारत का निर्यात 53 करोड़ 85.7 लाख डॉलर का था, और पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1.22 अरब डॉलर का रहा. इस अवधि में ईरान से आयात 14 करोड़ 6.9 लाख डॉलर का हुआ, जबकि 2023-24 में यह 62 करोड़ 51.4 लाख डॉलर का था. जॉर्डन के साथ व्यापार में भी गिरावट देखी गई, जहां अप्रैल-जुलाई 2024 के दौरान भारत से निर्यात 22 करोड़ 85.6 लाख डॉलर का रहा, जबकि 2023-24 में यह 1.46 अरब डॉलर था. इसी अवधि में जॉर्डन से आयात 69 करोड़ 92.8 लाख डॉलर का हुआ, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 1.4 अरब डॉलर का था.

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